लोहाघाट। सुई गांव की भूमि मैं जिला जेल प्रस्तावित किए जाने से यहां के लोग लामबंद होते जा रहे हैं। यहां की महिलाओं ने इस मुद्दे को लेकर अलग से मोर्चा खोल दिया है। सुई पऊ एवं खैसकांडे गांव के लोगों ने जिला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिला मुख्यालय चंपावत में गोरल चौर मैदान के समीप वर्ष 2008 में जिला जेल के लिए भूमि का चयन करने के बाद उसमें 15 करोड़ की लागत से जेल का निर्माण कार्य शुरू भी कर दिया गया था। जिसमें 2.22 करोड़ रुपए खर्च भी किए जा चुके हैं। इतना सब होने के बावजूद अब यहां जेल न बनाकर इसके लिए अन्यत्र भूमि की तलाश क्यों और किन परिस्थितियों में की जा रही है? जब यहां जेल बनानी ही नहीं थी तो इतनी भारी-भरकम धनराशि खर्च की गई इसके लिए जिम्मेदार कौन है? बताया जाता है कि उक्त स्थान में जेल बनाने का यहां के लोग शुरू से ही विरोध करते आ रहे थे ऐसी स्थिति में शहर के बीचो-बीच जेल बनाने का क्या तुक था? जहां करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद अब इसके लिए दूसरी जगह तलाशी जा रही है।

      इधर 1984 में उसी स्थान में निर्माणाधीन सीमेंट फैक्ट्री का विरोध में खड़ी हुई सुई पऊ एवं खैसकांडेगांव की महिलाएं एक बार फिर सक्रिय होने लगी है यहां की महिलाओं ने जिला प्रशासन की नाक में दम कर तब तक संघर्ष किया था। जब तक कि यहां से सीमेंट फैक्ट्री को हटाया नहीं गया था गांव की देवकी ओली, शांति पांडे, पूर्व प्रधान शांति चतुर्वेदी, लक्ष्मी देवी, बसंती, मुन्नी खर्कवाल देवकी डूंगरिया, सरिता ओली, तुलसी ओली आदि का कहना है कि वह किसी भी हालत में गांव के बीच गोचर पनघट की भूमि मैं जेल नहीं बनने देंगी। जो लोग पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस स्थान में जिला जेल बनाने की सोच रहे हैं उनके दिमाग का दिवालापन ही कहा जाएगा ।उधर पूर्व जिला पंचायत सदस्य सचिन जोशी ,ग्राम प्रधान भुवन चौबे ,गौरव पांडे, राहुल कुमार, सुधीर चतुर्वेदी ,मनोज ओली , मयंक ओली, विजय सिंह आदि ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर किसी भी हालत में जेल के लिए भूमि न देने का कड़े शब्दों में ऐलान कर दिया है।

फोटो चंपावत में निर्माणाधीन जिला जेल का एक दृश्य जिस पर करोड़ों रुपया व्यय किया जा चुका है।

By Jeewan Bisht

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