चंपावत। मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा इसके खरीद के समर्थन मूल्य निर्धारित किए जाने के बाद किसानों के घर से और महंगे दामों में लोग मडुवा, गहत, कोना आदि की खरीद किए जाने से किसान काफी उत्साहित है। उनका कहना है कि आने वाले समय में मोटे अनाजों का प्रक्षेत्र बढ़ाएंगे। प्रगतिशील किसान धर्म सिंह बोरा, तुलसी प्रकाश, पीतांबर गहतोड़ी, प्रेम सिंह बोहरा आदि का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वयं मोटे अनाजों का ब्रांड एंबेसडर बनने से उन्हें उनके सबसे अधिक दाम मिल रहे हैं। जबकि इससे पूर्व किसान बिचोलियों का शिकार बन जाया करते थे। मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार का कहना है कि मंडुवे का उत्पादन अन्य फसलों की तुलना में आसान होता है। यह कम पानी में भी पैदा हो जाता है इसमें रोग व कीड़े नहीं लगते हैं। विभाग द्वारा 80 फ़ीसदी अनुदान पर किसानों को इसका बीज उपलब्ध कराया जाता है।
चंपावत जिले में गहत का प्रक्षेत्र भी बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में इसका 975 हेक्टेयर में एवं 3.500 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में मंडुवे की खेती की जा रही है। मुख्य कृषि अधिकारी के अनुसार चंपावत जिले का मड़ुवे एवं गहत की दाल की तासीर एवं स्वाद अलग ही है। इनमें औषधिय गुणों की प्राकृतिक रूप से भरमार मिली हुई है। इसलिए इन उत्पादों की व्यापक डिमांड रहती है। विभागीय स्तर पर मोटे अनाजों का व्यापक प्रचार प्रसार किए जाने एवं उनकी खरीद की पूरी गारंटी लिए जाने से किसान काफी प्रोत्साहित होते जा रहे हैं। वर्तमान में गहत दो सौ रुपए प्रति किलोग्राम तथा मडुवे का आटा ₹60 किलोग्राम की दर से बाजारों में बिक रहा है। मोटे अनाजों में अब मक्का व काला भट को भी अच्छी कीमतें मिलने लगी है। मुख्य कृषि अधिकारी के अनुसार वह दिन दूर नहीं जब आने वाले समय में चंपावत मॉडल जिले के किसान मोटे अनाजों के उत्पादन में उत्तराखंड में प्रथम पंक्ति में स्थान बनाने के लिए प्रयत्नशील है।

By Jeewan Bisht

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