लोहाघाट!चंपावत को मॉडल जिला बनाने के क्रम में डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी औचक कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) मे उस समय पहुंचे जब वैज्ञानिकों व अन्य कर्मियों के घर जाने का समय होता है!वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि वैज्ञानिक डाo भूपेंद्र खड़ायत, डाoरजनी पंत डाoपूजा पांडे,फकीरचंद गायत्री देवी वी. पी. धोनी आदि लोग खेत में कीवी की पौध लगा रहे थे!इसी के साथ डीएम की केंद्र के प्रति बनी पूर्व की धारणाएं कपूर की तरह उड़ गई है! मालूम हो की युवा वैज्ञानिकों की केंद्र में नई टीम आने के बाद केवीके की तस्वीर बदल चुकी है!डीएम का कार्यभार ग्रहण करने के बाद यह उनका पहला केंद्र का भ्रमण था! डीएम ने वैज्ञानिकों के उत्साह को देखते हुए कहा कि चंपावत को मॉडल जिला बनाने में यहां के वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है, जो पशुपालन, मौन पालन मछली पालन मुर्गी,पालन बागवानी विकास,कृषि विकास आदि कार्यक्रमों के जरिए किसानों के चेहरों में खुशहाली की मुस्कान ला सकते हैं!उन्होंने केंद्र के पूरे परिसर में किए जा रहे कार्यों को देखा!यहां फटे पालीहाउस में भी उत्पादन का प्रयास किया जा रहा था! उन्होंने केवीके के माध्यम से किसानों तक उन्नत प्रजाति के बीज देने की जरूरत बताई तथा इस कार्य में धन की कमी बाधक नहीं बनने दी जाएगी! उन्होंने कहा कि कृषि एवं उद्यान से संबंधित सभी प्रशिक्षण अब इस केंद्र में ही कराए जाएंगे! डीएम ने कहा कि जिले के चारों ब्लॉकों की जलवायु एवं भौगोलिक स्थिति को देखते हुए खेत से जुड़े प्रत्येक कार्यक्रम के तहत हर ब्लाक में 50 से 100 तक ऐसी प्रदर्शन इकाइयां स्थापित की जाएं! जिन्हें देखकर किसान प्रेरित हो सके! डीएम का कहना था कि केवीके जिले का एकमात्र केंद्र है जहां सभी आवश्यक सुविधाएं व व्यवस्था,होनी चाहिए, जो कमियां हैं उन्हें जिला स्तर से दूर किया जाएगा! किसानों के लिए केंद्र का उतना ही महत्व है जितना खेत के लिए पानी का होता है।
बाद मे जिलाधिकारी ने वैज्ञानिकों से विचार विमर्श किया कि किस प्रकार किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है! डॉ0भूपेंद्र खड़ायत, उद्यान वैज्ञानिक डॉo रजनी पंत एवं डॉo पूजा पांडे का दावा था कि चंपावत जिले की भौगोलिक परिस्थितिया व जलवायु को देखते हुए यहां इंटीग्रेटेड फार्मिंग की अवधारणा बेहद कारगर है! यदि सामूहिक प्रयास किए जाएं तो किसान की आय चार गुना बढ़ सकती है! उन्होंने किसानों को अच्छा बीज व फल पौध दिए जाने पर विशेष जोर दिया! वैज्ञानिकों का कहना था कि केंद्र में मटर अर्किल व पी.एस 1100 प्रजाति स्थानीय बीजों की तुलना में चार गुना अधिक उत्पादन देती है! इसका केंद्र में परीक्षण सफल रहा है!सब्जी बीज हो या फलों का बीज अच्छी प्रजाति का होना जरूरी है! वैज्ञानिकों ने सभी जैविक उत्पादों पर विशेष जोर दिया!डीएम ने कहा कि वैज्ञानिको व जिला प्रशासन के बीच लगातार संवाद व जुगलबंदी बनी रहनी चाहिए! हमारा बुनियादी लक्ष्य यह होना चाहिए कि हम जनपद के लोगों की बेहतरी व उनका आर्थिक स्तर ऊंचा करने के लिए कितना मददगार बन सकते हैं!

By Jeewan Bisht

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