लोहाघाट। जिला अधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी 18 जनवरी को नेपाल सीमा से लगे कायल गांव जाएंगे‌। उनके साथ सीडियो समेत जिला स्तरीय अधिकारियों की पूरी टीम भी होगी। श्री भंडारी आजादी के बाद पहले डीएम होंगे जो लंबी पैदल दूरी तय कर कायल गांव के लोगों की सुध लेंगे।सीमावर्ती क्षेत्र की सोना उगलने वाली भूमि के रूप में चर्चा में आए इस गांव का पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के डायरेक्टर डॉ अनिल कुमार शर्मा ने कृषि विज्ञान केंद्र लोहाघाट के वैज्ञानिकों की पूरी टीम इस गांव में भेजी, वैज्ञानिकों ने यहां के हाड़ तोड़ मेहनती किसानों के परिश्रम को देखकर हुए काफी प्रभावित ही नहीं हुए बल्कि उन्होंने इस गांव को चंपावत जिले में पहला इंटीग्रेटेड फार्मिंग के लिए उपयुक्त गांव बताया ।जिलाधिकारी के दौरे से लोगों को सुखद आश्चर्य की अनुभूति होने के साथ उन्हें अब पक्का यकीन हो गया है कि उनके अच्छे दिन आएंगे। इस गांव के लोगों के उत्थान में सड़क मार्ग का अभाव सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।डीएम के दौरे से लोग आश लगाए हुए हैं कि अब शीघ्र ही सड़क सुविधा मिलेगी। मालूम हो कि डूंगरा बोरा से कायल गांव को जोड़ने वाली सड़क को मुख्यमंत्री धामी द्वारा हरी झंडी दिखाई जा चुकी है।ग्राम प्रधान मोहन सिंह, किसान नेता मोहन चंद पांडे, ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े पत्रकार पुष्कर सिंह बोहरा का कहना है कि जिलाधिकारी का यह दौरा सीमांत क्षेत्र के विकास ही नहीं बल्कि पलायन को रोकने में मददगार भी साबित होगा।

By Jeewan Bisht

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