चंपावत। सीएम धामी द्वारा चंपावत को मॉडल जिला बनाने की दिशा में लगातार किए जा रहे प्रयासों को देखते हुए इस ऐतिहासिक महत्वपूर्ण कार्य में जिले की प्रभारी मंत्री की उदासीनता इस बात को जाहिर करती है कि या तो उन्हें चंपावत के प्रभारी मंत्री का दायित्व जबरन सौंपा गया है या उन्हें यहां आने की फुर्सत ही नहीं मिलती है। प्रभारी मंत्री के ऊपर जिले के नियोजन का पूरा दारोमदार टिका रहता है। जब स्वयं मुख्यमंत्री अपने जिले को मॉडल रूप देने के लिए हर स्तर पर पसीना बहा रहे हैं, ऐसी स्थिति में तो प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी कहीं अधिक बढ़ जाती है। वैसे प्रभारी मंत्री को जिले के ओर-छोर का भ्रमण कर लोगों की आवश्यकताओं का अध्ययन कर ऐसे कार्यों को जिला योजना की प्राथमिकताओं में शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन यहां ठीक इसके विपरीत प्रभारी मंत्री को जिले का भूगोल तक मालूम नहीं है। जब कभी पार्टी के काम से आती हैं, तो उन्हें आने से पहले जाने की अधिक फिक्र रहती है।
जिले की वार्षिक योजनाओं को जिला मुख्यालय में अंतिम रूप देने के बजाय दो बार जल्दबाजी में जिस अंदाज में टनकपुर में जिले के अफसरों को बुलाकर उसे आनन-फानन में अंतिम रूप दिया गया उसे देखते हुए मॉडल जिले की जिला योजना को कैसा स्वरूप मिलता है? यह तो भविष्य बताएगा। अलबत्ता जिला प्रशासन द्वारा जिला योजना को रोजगार व विकास के लिए समर्पित ऐसी कार्य योजना बनाई जा रही है, जिसमें हो सकता है कि पूर्व की योजनाओं की तरह इस वर्ष की योजना का भी पूरा बदला हुआ स्वरूप सामने आएगा। वैसे जिले का दुर्भाग्य रहा है कि भले ही यहां आजतक थोपे हुए प्रभारी मंत्री मिले, जिसे जिले की तो कोई लाभ नहीं मिला अलबत्ता उनके आने से लोगों की दिक्कतें अवश्य बढ़ जाती हैं। यदि मुख्यमंत्री अपनी परिकल्पनाओं का आदर्श जिला बनना चाहते हैं तो उन्हें या तो यहां प्रभारी मंत्री की अवधारणा समाप्त कर देनी होगी या यहां नए उत्साही चेहरों को लाना होगा।