लोहाघाट। मौसम चक्र में आए बदलाव से आए दिनों पहाड़ों में आग उगल रही धरती एवं एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों
की अब आंखें खुल गई हैं कि वृक्षारोपण एवं जल संचय हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे वातावरण में जंगलों में लग रही आग ने तो लोगों को झकझोर कर रख दिया है। नौले,धारे,नदी नालों के सूखने से फायर सीजन पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है। गांव में भी एक-एक बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। वनाग्नि के कारण अद्वैत आश्रम मायावती के संतों की नींद उड़ी हुई है, जिन्होंने यहां आश्रम की स्थापना के बाद ऐसा मॉडल जंगल तैयार किया है, जहां पूरी तरह जैव विविधता सुरक्षित है। जानकार लोगों का कहना है कि ऐसा सघन वन उत्तराखंड में कहीं भी नहीं है। इसलिए कुछ दिनों से इस जंगल के आसपास के पंचायती जंगलों में आग लगने से न केवल वन विभाग परेशान है, बल्कि फायर कर्मियों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। शुक्रवार को देर रात तक आग बुझाने का कार्य जारी रहा। वनाग्नि के प्रति लोगों को सचेत करती आ रही सामाजिक कार्यकर्ती रीता गहतोड़ी ने सबसे पहले आग लगने की घटना की सूचना पुलिस,वन विभाग व लोगों को दी। मायावती के आसपास के जंगलों में आए दिनों असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है। लोगों का कहना है कि यहां लोग देर रात तक मौज मस्ती में रहते हैं और जाते वक्त जंगल को आग के हवाले कर जाते हैं। ऐसे लोगों को रोकने के लिए लोग यहां पुलिस की गस्त लगाने की भी मांग कर रहे हैं। उधर वनों में आग लगने के कारण तापमान में काफी वृद्धि हो गई है। पहली बार चंपावत का तापमान 33 डिग्री तक पहुंच गया है, जबकि घाटी वाले स्थानों में यह 37 डिग्री तक उछाल मार गया है। बिनसर में हुई दर्दनाक घटना के बाद अब गांव वाले भी मन से सहयोग करने में कतरा रहे हैं। इस घटना से वन कर्मियों एवं फायर कर्मियों को भी डरा दिया है। लगातार हो रही वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए यह जरूरी हो गया है कि लोग अपने-अपने जंगलों को बचाने के लिए आग लगाने वालों को बेनकाब करने हेतु आगे आएं।