भिंगराड़ा। खरही के नित्य पूजा स्थल नाखुड़ा में सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। महिलाओं ने मल्ली खरही महादेव मंदिर से जल लेकर पारंपरिक परिधान में कलश यात्रा निकाली। खरही के तीन गांव जिसमें ईजर, नाखुड़ा और बैजगांव जहां शदियों से इन तीनों गांवों में बारी बारी से लधौन देवता की सुबह शाम नित्य पूजा पाठ की परम्परा चली आ रही है जिसमें शदियों बाद इस वर्ष खरही के शिव मंदिर नाखुड़ा तोक में सात दिनी भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। यहां की समस्त क्षेत्रीय जनता कथा व्यास परम पूज्य मानस रत्न प्रकाश कृष्ण शास्त्री जी के मुखारविंद से सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का अमृतपान करेंगे।
पहले दिन की कथा में कथा व्यास द्वारा
श्रीमद भागवत पुराण सभी शास्त्रों का सार है। जब वेदों के संकलन और महाभारत, पुराणों की रचना के बाद भी उन्हें शांति न मिली तो उनके गुरु नारद मुनि ने उन्हें श्रीमद भागवत पुराण लिखने को प्रेरित किया। यह श्री वेदव्यासजी की आखिरी रचना है और इस कारण पूर्व के सारे रचनाओं का निचोड़ है।
वेदव्यास जी का नाम “कृष्ण द्वैपायन” है। कृष्ण अर्थात श्याम वर्ण के और द्वैपायन अर्थात छोटे कद के या द्वीप में निवास करने वाले। व्यासदेव स्वयं भगवान के शक्त्यावेश अवतार थे और आने वाले कलयुग का ध्यान कर उन्होंने वेदों को ४ भाग में विभक्त किया और शास्त्रों को लिखित रूप में संरक्षित किया।भगवान स्वयं शब्दात्मक स्वरुप में भागवत में विराजते हैं।