चंपावत। नवागत मुख्य विकास अधिकारी “सीडीओ” से हुई हमारी पहली वार्ता ने ही हमारा खून बढ़ा दिया है, हमारे भविष्य की आशाओं में पंख लगने लगे हैं, खेत हमारी समृद्धि का कारण बनेगा और बेमौसमी सब्जियों, फूलों की खेती, दुधारू पशुपालन, मुर्गी के साथ अंगोरा शशक पालन, मत्स्य पालन, केसर की खेती, केला, आम, अमरूद, सेब, कीवी, मौन पालन आदि तमाम कार्यक्रमों के जरिए हमारी तकदीर एवं क्षेत्र की तस्वीर बदलने का हममें विश्वास पैदा हुआ है। रमेश चंद्र, तुलसी प्रकाश, पीतांबर दत्त , दरबान सिंह, पार्वती देवी आदि किसानों का उनका कहना है कि सही मायनो में किसानों उनके मन का सीडीओ मिला है। चंपावत को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना के अनुसार उसे मॉडल रूप देने के लिए पहले से ही समर्पित जिलाधिकारी नवनीत पांडे को और तेजी से काम करने के लिए दाया हाथ मिल गया है। सीडीओ ने सरसरी तौर पर जिले की टोपोग्राफी समझने के बाद कहा हमारे पास अब इतना समय नहीं है कि यदि हमने अपने समय का मूल्यांकन नहीं किया तो हम विकास की दौड़ में पीछे रह जाएंगे। हमने ऐसा रोड मैप बनाना है कि जिले के लिए आज हमने क्या किया ? और कल क्या किया जाना है? इसकी तस्वीर हमारे सामने होनी चाहिए। सीडीओ का मानना है कि विभिन्न विभागों के बीच समन्वय का अभाव किसानों से सीधा संवाद ना होने से उनके मन की बात न समझना कौन उत्पादन कहां? और कैसी किन परिस्थितियों में अधिक पैदा किया जा सकता है? इसे हमने उनसे नहीं जाना। यदि उनकी भावनाओं में विभिन्न योजनाओं का समावेश किया जाए तो परिणाम सामने आएंगे। उनका कहना है की रात दिन खेत में काम करने वाले किसान से बड़ा वैज्ञानिक कोई नहीं है। यदि उन्हें हम आधुनिक ज्ञान और कृषि विज्ञान से जोड़े तो उनकी हाड़तोड़ मेहनत ही उनमें सफलता के पंख लगा देगी।
सीडीओ ने अपने मन की बात साझा करते हुए अपना अंतर्मन का दुख भी प्रकट करते हुए कहा कि ग्राम विकास विभाग की सभी योजनाएं किसान को केंद्र बिंदु बनाकर बनाई जाती है, लेकिन विभागों के बीच परस्पर सहयोग और समन्वय का अभाव एवं किसानों से आत्मीय रिश्ता न जोड़ने से बेचारे किसान आपनी किस्मत पर रो रहे हैं। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अब मनरेगा में अपने खेत में ही काम करने वाला मजदूर किसान भी धरती से सोना पैदा करेगा। जिले की जलवायु फूलों की खेती एवं उससे बनाए जाने वाले इत्र से महकने लगेगा। कोटा, रौलामेल, हौली पिपलालाठी आदि गांवों के फूलों की खेती का कार्य छोड़ चुके किसानों की भविष्य की आस बड़ी है। सीडीओ का इरादा उद्यान विभाग द्वारा बाहरी जिलों से मंगाई जाने वाले फल, पौधों की जिले में ही किसानों के यहां नर्सरी तैयार करने का है। जिले में सभी प्रकार की जलवायु है। जिले में आईटीबीपी एवं एसएसबी बटालियनो के समीपवर्ती गांवो में व्यापक स्तर पर फल, सब्जियां, मुर्गी, मछली, दूध, दालों का इतना उत्पादन बढ़ाया जाएगा कि इसके लिए किसानों को बाजार तलाशने की जरूरत नहीं होगी। हर घर में मौन पालन एवं गोठ में गाय बांधकर उन घरों में रिद्धि सिद्धि स्वयं पैदा की जाएगी। हाड़तोड़ मेहनत के बाद जिले में पानी के मोल बिक रहे दूध पर हैरानी जाहिर करते हुए सीडीओ का कहना है कि उन कारणों का पता लगाया जाएगा कि क्यों दुग्ध उत्पादकों को दूध का पूरा मूल्य नहीं मिल रहा है? इस व्यवसाय से जिले के 25 हज़ार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। दुधारू पशुपालन हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त स्रोत है। इस कार्यक्रम को विकसित करने के साथ उत्पादकों को दूध का उचित मूल्य दिलाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। विकास कार्यों में फर्ज़ीवाड़ा रोकने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत का एक ऐसा रजिस्टर बनाने पर विचार किया जा रहा है जिसमे विकास की पूरी गतिविधियों का ब्यौरा होगा, उस रजिस्टर से यह भी पता चलेगा कि कब – कब संबंधित अधिकारी गांव में आए? इन सभी बातों को कंप्यूटर में एक क्लिक से देखा जा सकता है। इसी के साथ ग्राम पंचायत भवन को गांव के मिनी सचिवालय का रूप भी दिया जाएगा, जहाँ गाँव के लोगो को एक ही स्थान पर निश्चित तिथि को सभी सुविधाये मिलने लगेंगी।

By Jeewan Bisht

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