चंपावत। दो वर्ष पूर्व सीएम धामी को चंपावत विधानसभा के लोगों ने जिस रिकॉर्ड वोटों से विधानसभा भेजा था, उसके एवज में जिले को विकास के रूप में जो सौगात मिली है, इसकी कल्पना न तो यहां के लोगों को थी और न खटीमा विधानसभा क्षेत्र के लोगों को। खटीमा के लोगों को अब मलाल हो रहा है कि जिस धामी को उन्होंने दो बार विधायक बनाया था, जब उनकी क्षमता के बल पर उन्हें सीएम का दर्जा मिलने से खटीमा क्षेत्र का गौरव बढ़ाने के साथ विकास के नए द्वार खुलने जा रहे थे तब उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया और ऐसे विकास पुरुष को चंपावत के लोगों ने सर आंखों में उठा लिया। दो वर्ष के कार्यकाल में सीएम धामी ने चंपावत को हिमालयी राज्यों का मॉडल जिला बनाने के लिए हजारों करोड़ रुपए का जो उपहार दिया है उसकी यहां के लोगों ने सपने में भी उम्मीद नहीं की थी। सीएम द्वारा अभी तक यहां के विकास की जो 222 घोषणाएं की थी, उनमें से आधी से अधिक घोषणाओं पर काम पूरा हो चुका है। वर्तमान में विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में यूकोस्ट द्वारा जिले को ऊंचाइयों में ले जाने के लिए केंद्र सरकार के डेढ़ दर्जन वैज्ञानिक एवं तकनीकी संस्थान जुटे हुए हैं। यह पहला मौका है कि जब जिले के लोगों को विकास कार्यों के जरिए उनके जीवन की जटिलताएं इतनी कम होती जा रही हैं कि आने वाले समय में बाहरी जिलों के लोग यहां आएंगे। मुख्यमंत्री ने उन्हें दिए गए सम्मान के बदले विकास की जो रेलमपेल की जा रही है, उसे देखते हुए उन्होंने लोगों के दिलों में विकास पुरुष के रूप में अपना नाम दर्ज कर लिया है।
जिले के तेजी के साथ हो रहे विकास के पीछे तमाम खामियां भी सामने आ रही हैं। राज्य स्तर पर ऐसा कोई सचिव नियुक्त नहीं किया है जो नोडल अधिकारी के रूप में विभागों में समन्वय स्थापित कर विकास कार्यों में तेजी ला सके। यदि कोई नियुक्त किया भी है तो इसका एहसास लोगों को नहीं हो रहा है। विकास कार्यों की गुणवत्ता में मॉडल जिले का स्वरूप सामने नहीं आ रहा है।अभी भी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में अधिकारियों का अकाल पड़ा हुआ है। पाटी में एसडीम, चार तहसीलों में तहसीलदार के पद,आपदा प्रबंधन अधिकारी जैसे तमाम महत्वपूर्ण पद रिक्त चल रहे हैं, जबकि अधिकारियों के बल पर ही जिले को मॉडल रूप दिया जाना है। बड़ी मुश्किल से यहां डीडीओ की नियुक्ति की गई। इससे पूर्व मुख्यमंत्री के जिले के डीडीओ की सुविधा को देखते हुए उन्हें देहरादून में अटैच किया गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य स्तर के अधिकारी सीएम के मॉडल जिले को कितनी तवज्जो दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के पास ऐसा कोई चैनल नहीं है, जो उन्हें जिले की वास्तविकता से अवगत करा सके। इस मामले में सीएम को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। यदि समय रहते कोई कारवाही नहीं की गई तो तब पछतावे व हाथ मलने के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।