जोशीमठ: उत्तराखंड का प्राचीन शहर जोशीमठ भूस्खलन की चपेट में है और वहां की मौजूदा गंभीर स्थिति बनी हुई है लगातार हो रहे भूस्खलन से शहर के 700 से ज्यादा घरों, होटलों और दुकानों में भारी दरारें आ गई है। इसी वजह से वहां के लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस स्थिति पर हाई लेवल बैठक भी की। प्रभावित परिवारों के बचाव के लिए लगातार कामों में तेजी आ रही है। जोशीमठ में लगातार हो रहे भूस्खलन से यह रिस्क जोन में आ गया है जोशीमठ हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बेहद महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यही वह जगह है जहां पर आदि गुरु शंकराचार्य ने तपस्या कर देवी ज्योति प्राप्त की थी। जोशीमठ भूस्खलन से बढ़ रहे खतरों की वजह से सरकार एक्शन में आ गई है। अब राहत और बचाव के काम भी तेजी से लाई जा रही है धीमी गति से हुए भूस्खलन ने क्षेत्र के 3000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। गुरुवार शाम तक मिली रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ से कम से कम 66 परिवार पलायन कर चुके हैं जबकि अन्य को भी सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है जोशीमठ में जो भी जोखिम भरे इमारतें हैं उन पर लाल रंगों से क्रॉस का निशान लगाया गया है। यह वह इमारते है जो भूस्खलन की जद में आ गए हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने बताया कि जिन स्थानों पर लोगों को स्थानांतरित किया गया है उनमें नगर पालिका भवन, एक प्राथमिक विद्यालय भवन, मिलन केंद्र और जोशीमठ गुरुद्वारा भी शामिल है।