लोहाघाट। नाखोड़ा गांव में चल रही भागवत कथा में भारी भीड़ उमड रही है। नाखोड़ा महादेव मंदिर की प्राचीन काल से ही काफी महिमा रही है। चंद राजा के समय में राजा की मनौतियां पूर्ण होने पर उनके द्वारा यहां शिवशक्ति में चांदी का छत्र चढ़ाया गया था, जो आज भी सुरक्षित है। यहां बैद्यनाथ धाम से शिव शक्ति को लाया गया है। नाखोड़ा, बैजगांव एवं इजरा गांव के निरमांसी लोग शताब्दियों से यहां शिव शक्ति की पूजा करते आ रहे हैं। इन गांवों का कोई भी व्यक्ति मांसाहार नहीं करता है, जिससे इन्हें निरमांसी कहा जाता है। यहां चंद्र शासको के बाद पहली बार भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उक्त तीनों गांवों के अलावा आस-पास के दर्जनों गांव के लोग श्रद्धानवत होकर इस अनुष्ठान में जुड़े हुए हैं।
ब्यास पीठ से प्रवचन करते हुए पुराणों के मर्मज्ञ मानसरत्न आचार्य प्रकाश कृष्ण शास्त्री ने कहा कि इस सृष्टि में मां हर घर की ऐसी पूजनीय एवं वंदनीय नारी के रूप में भगवती है। जिस घर में माता-पिता को देवी देवताओं के समान उन्हें साक्षात भगवान माना जाता है, वह घर किसी स्वर्ग से कम नहीं है। वह लोग कितने भाग्यशाली हैं, जिनके ऊपर माता-पिता का साया बना हुआ है। आचार्यश्री ने कहा कि कलयुग ने हमारे दृष्टिकोण को ही बदल दिया है। जिस घर में लड़की का जन्म होता है वहां सद्बुद्धि एवं सद्विचार होते हैं। वहां उसका श्री और लक्ष्मी के रूप में स्वागत किया जाता है। जहां कई घरों में लडकी के पैदा होते ही घरवालों के चेहरे मुरझा जाते हैं, वह लोग यह नहीं जानते की लड़कियां अपने साथ सौभाग्य लेकर श्री और लक्ष्मी के रूप में प्रवेश करती हैं तो उस घर में दैवीय कृपा उसी वर्ष से बरसने लगती है। शिक्षा से अधिक संस्कारों पर जोर देते हुए आचार्यश्री ने कहा कि जिस गौमाता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, उसी गाय को जंगल में छोड़कर लोग देवी देवताओं का तिरस्कार कर घर में दुर्बुद्धि के लिए द्वार खोल रहे हैं। ऐसे लोगों के घरों से गौमाता के निकलने के साथ ही उस घर में अशांति एवं दरिद्रता डेरा डाल लेती है। मनुष्य अपने को कितना ही धार्मिक कहलाये, यदि उसके कारण गौमाता एवं माता-पिता के आंसू निकलते हैं, तो उसके पुण्य आंसुओं के साथ बह जाते हैं। उन्होंने कहा जिस घर में रोज माता-पिता एवं गौमाता को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है, उन लोगों को सभी अठारह पुराण कथाओं को सुनने का फल मिलता है।