देवीधुरा(चंपावत)- बाराही धाम में चल रही श्री राम नाम यज्ञ ज्ञान में पुराणों के मर्मज्ञ आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्री राम के जीवन प्रसंगों को आज के बदलते सामाजिक परिवेश से जोड़ते हुए कहा की श्रीराम ने जानकी जी के हरण के बाद जिस प्रकार उन्होंने निशाचारी प्रवृत्तियों का दमन कर समाज को उनके आतंक से मुक्त करा कर नए अध्याय की शुरुवात की। इसी प्रकार श्री राम के वन गमन की कथा को बेहद मार्मिक अंदाज में सुनाते हुए आचार्यश्री ने कहा जब लक्ष्मन श्रीराम के साथ वन जाने के लिए माता की आज्ञा लेने गए तो तब उन्होंने कहा की भले ही मेने तुम्हे जन्म दिया हो लेकिन तुम श्रीराम के साथ वन गमन कर उनके सच्चे भाई होने की मर्यादा प्रस्तुत करो। आचार्यश्री ने कहा आज के समय में लोग अपने क्षणिक स्वार्थ को लेकर परिवार से अलग हो जाते है, माता पिता को घर का साक्षात भगवान बताते हुए उनका कहना था की वह लोग कितने भाग्यशाली है जिन्हे अपने माता पिता की सेवा करने का अवसर मिलता है। श्रीराम के जीवन से हमे पारिवारिक जीवन की तमाम प्रेरणाएं मिलती हैं।

उन्होंने आगे कहा माता कैकई यदि कठोर निर्णय नहीं लेती तो श्रीराम की लीला बाल्यकाल में ही समाप्त हो जाती। महाराजा दशरथ ने श्रीराम के राज्याभिषेक को कल के लिए नियत किए जाने से ही श्रीराम की लीला शुरुवात होने लगी।जिससे समाज में यह संदेश गया यदि हम आज किए जाने वाले कार्य को कल के लिए छोड़ते है तो उसका इस के तरह परिणाम सामने आते है।

कथा के कारण बाराही धाम में लोग भक्तिभाव में सरोबार होते जा रहे है। इसी के साथ बाहर से आने वाले लोग मां बाराही के दर्शनों का भी पुण्य लाभ उठा रहे है।

कथा के आयोजक राज्य सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राज शेखर जोशी एवम उनके अनुज मोहित जोशी द्वारा विश्व कल्याण की भावना के लिए इतना वृहद आयोजन कर क्षेत्रीय लोगो की सुख शांति समृद्धि की कामना की जा रही है।

By Jeewan Bisht

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