चंपावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो टूक शब्दों में कहा कि चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए साधनों एवं संसाधनों की कोई कमी नहीं है। जिले में कार्यरत अधिकारियों को इस बात की खुशी होनी चाहिए कि वे ऐसे मॉडल जिले के निर्माण के साक्षी बनने जा रहे हैं, जो न केवल उत्तराखंड को नई दिशा देगा बल्कि देश के हिमालयी राज्यों के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बनेगा। सीएम का कहना था कि लगातार बढ़ते तापमान एवं गंगा यमुना के उद्गम हिमालयी इस क्षेत्र में दिनोंदिन गहराते जा रहे जलसंकट ने हमसे तीसरी आंख खोल दी है कि यदि हमने नियोजित तरीके से जल संचय एवं वृक्षारोपण का कार्य भावनाओं से नहीं किया तो नई पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने ईकोलॉजी एवं इकोनॉमी में समन्वय स्थापित करने पर जोर देते हुए कहा कि जिस तेजी के साथ जिले में पर्यटन,धार्मिक पर्यटन एवं ईको पर्यटन को लेकर देश विदेश के लोगों का पहली बार इस जिले की ओर जो रुझान बढ़ा है,यह हम सबके लिए जहां संतोष का विषय है, वहीं हमने इस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि यहां आने वाले पर्यटकों का मेहमानों की तरह स्वागत कर मौजूदा उपलब्ध संसाधनों के साथ उन्हें सुविधाएं देने के अलावा पर्यटकों का स्वागत करते समय भी उनके अनुभव व ज्ञान का अपनी कार्ययोजना में समावेश किया जाए। जिले में ऐसे छोटे-छोटे टूरिस्ट सर्किट बनाए जाएं, जहां यहां आने वाले पर्यटक उनको देख सकें।
मां पूर्णागिरी के दरबार में बढ़ती श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए टनकपुर में शारदा कॉरिडोर एवं आईएसबीटी का विस्तार करने का संकेत दे रही है।
जिलाधिकारी नवनीत पांडे द्वारा चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए
विकास एवं रोजगार का ऐसा समावेश कर योजनाएं तैयार की जा रही हैं, जिससे लोगों के जीवन की जटिलताएं कम होने के साथ हमारा प्रयास है कि पलायन कर चुके लोग पूरे वर्ष नहीं तो ग्रीष्मकाल में वह अन्य पर्यटक स्थलों में जाने के बजाय अपनी माटी से जुड़ें। वर्चुअल बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव शैलेश बगोली, एस.एन.पाण्डेय, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत एवं कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारी तथा जिला स्तर के विकास से जुड़े सभी अधिकारी उपस्थित थे। चंपावत। सीएम धामी द्वारा चंपावत को मॉडल जिला बनाने में तेजी लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का लोगों द्वारा स्वागत किया गया वहीं लोग सचिव स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने पर भी लोग जोर दे रहे हैं, जिससे कार्य संचालन में तेजी लाई जा सके। लोगों का यह भी कहना है कि यदि मुख्यमंत्री के द्वारा किसी सचिव को नोडल अधिकारी बनाया भी गया है तो जिले में महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारियों की कमी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि उनकी मॉडल जिला बनाने में कोई रुचि नहीं है। लोगों का यह भी कहना है कि सीएम को वास्तविकता जानने के लिए अपना ऐसा तंत्र बनाना होगा, जो राज्य स्तर में गए प्रस्तावित कार्यों का निस्तारण करने के साथ उन्हें वस्तुस्थिति की जानकारी दे सके।

By Jeewan Bisht

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