उत्तराखंड के बाज के जंगलों से निकलने वाली नदियों को बचाने के लिए कार्य कर रहे पर्यावरण प्रेमियों के द्वारा अस्कोट अराघाट यात्रा के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर रविवार 26 मई को पर्यावरण प्रेमी देवेंद्र ओली के नेतृत्व में लोहावती नदी में पैदल पद यात्रा की गयी जिसमें राजेन्द्र गहतोड़ी , सामाजिक कार्यकर्त्ता राजेन्द्र पुनेठा(राजू भैय्या), एवं नवीन राय, शोधार्थी (जूनियर रिसर्च फेलो), आदि मौजूद रहे देवेंद्र ओली ने बताया
पदयात्रा का आरम्भ पाटन एवं बिसुंग से आने वाली नदियों के संगम(जहाँ से लोहावती का नाम पढ़ा) से किया गया उन्होंने लोहावती नदी की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए कहा यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कोली ढेक से फोर्ती पैदल मार्ग के समीप पुल के पास बिसुंग गाड़ एवं पाटन से आने वाली गाड़ मिलकर लोहावती का निर्माण करती है..यहाँ पर देखने को मिला कि पाटन से आने वाली पाटन गाड़ अब एक प्रदूषित नाले में तब्दील हो चुकी है वही दूसरी तरफ बिसुंग से आने वाली गाड़ का पानी अभी भी स्वच्छ है. जिसका कारण पाटन गाड़ में जनसंख्या का अधिक संकेन्द्रण, एवं बिसुंग गाड़ में जनसंख्या का कम संकेन्द्रण होना है संगम से ठीक 500 मीटर नीचे आने पर रोडवेज बस स्टेशन से ठीक नीचे एक प्रदूषित नाला लोहावती में मिलता है जो कि अपने साथ अनेक विषैले प्लास्टिक के थैले,बोतल एवं अन्य कचरे को लोहावती में मिलाता है यह नाला मुख्य बाजार से ही होता हुआ आता है. ओली ने बताया इससे ठीक 200 मीटर नीचे प्राचीन रिसेश्वर मंदिर में जाने पर हमने पाया की वहां पर मंदिर के समीप पानी का बहाव अत्यंत धीमा एवं पानी अत्यंत प्रदूषित है, मंदिर के समीप एक और प्रदूषित नाला बाड़ीगाड़ इसमें मिलता है जो कि अपने साथ ढेर सारा कचरा लाता है, प्राचीन में इस नदी के पानी से शिवजी का अभिषेक किया जाता था परन्तु वर्तमान में यह पानी स्पर्श करने लायक भी नहीं है.
इसके उपरांत ठीक 100 मीटर नीचे शमशान घाट स्थित है जो की प्रदूषण का एक अन्य स्त्रोत है तथा इसके ठीक 2 किलोमीटर नीचे लोहावती में बलाई गाड़ इसमें मिलती है जो कि एकदम स्वच्छ है क्युकी यह भी आबादी मुक्त क्षेत्र है इसी के समीप एक पुराना पम्प हॉउस है जहाँ से पानी स्टोर करके लोहाघाट मुख्य मार्किट में भेजा जाता है इसके समीप प्लास्टिक के ढेर सारा अवशिष्ट पदार्थ देखने को मिला सभी पर्यावरण प्रेमियों ने कहा अगर जल्द लोहावती को स्वच्छ नहीं किया गया तो जल्द यह सूख जाएगी उन्होंने कहा लोहावती की दुर्दशा के लिए लोहाघाट नगर की जनता के साथ-साथ लोहाघाट नगर पालिका व प्रशासन भी जिम्मेदार है लोहावती में सीधे सीवर को छोड़ा गया है लोगों के द्वारा कूड़े को कूड़ेदानों में ना डालकर नालों में फेंका जा रहा है उन्होंने कहा लोहावती को बचाने के लिए सब ने साथ मिलकर काम करना होगा सबसे पहले इन गंदे नालों को लोहावती से हटाना होगा तभी लोहावती बच पाएगी उन्होंने कहा आज लोहाघाट नगर में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है उसका कारण यह है कि हम अपनी नदियों को बचाने में असफल रहे हैं ओली ने बताया इसी मुहिम के तहत 15 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक लोहावती के उद्गम स्थल से लेकर लोहावती के अंतिम छोर महाकाली में संगम स्थल गढ़मुक्तेश्वर तक पैदल यात्रा निकाली जाएगी जिसमें उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार व पद्मश्री डॉक्टर शेखर पाठक भी प्रतिभाग करेंगे

By Jeewan Bisht

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