चंपावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मॉडल चंपावत जिले में अब फल पौधों आदि के लिए बाहरी जिलों पर निर्भरता समाप्त करने के प्रयासों में एक कदम आगे बढ़ता जा रहा है। मैदानी क्षेत्रों से आने वाले फल पौधों एवं आलू बीज की मांग पूरा करने के लिए उद्यान विभाग ने कमर कसी हुई है। दरअसल जब मैदानी क्षेत्र से मंगाए गए माल्टा के पौधों के स्थान पर जब उसमें जामीर के फल आने लगे तो, किसानों की आंखें खुल गई। उनमें यह अवधारणा पैदा हो गई कि जब जिले में आधा दर्जन विभागीय नर्सरिया है तो क्यों नहीं इनमें फल पौध व आलू बीज क्यों नहीं तैयार किए जाते? हालांकि इन नर्सरींयों का पूर्व में उचित रखरखाव न होने के कारण इनका उचित दोहन न किए जाने से शासन द्वारा इनमें चाय व सुगंध पौधौ की नर्सरी बनाने के लिए दूसरे विभागों को भूमि दे दी गई है। पिछले दो वर्षों से जिले में उद्यान विभाग में नए चेहरे आने के बाद उनके द्वारा यहा बेमौसमी सब्जियां, बागवानी आदि के क्षेत्र में धरातल में जो कार्य किए गए हैं यदि मौसम ने विभाग की प्रयासों में खलल पैदा नहीं किया तो निश्चित तौर पर यह जिला हिमाचल की तर्ज में कदम बढ़ा रहा है। जिले में उद्यान विभाग द्वारा प्रतिवर्ष तीस हजार वर्षा कालीन एवं इतने ही लगभग शीतकालीन फल, पौधे, बाहरी जिलों से मंगाए जाते हैं तथा 650 कुंटल आलू बीज भी बाहर से मनाया जाता है। जिलाधिकारी नवनीत पांडे द्वारा उद्यान विभाग के बढ़ते कदमों को देखते हुए जिला स्तर पर भी फल पौधों की नर्सरींयां में आलू बीज तैयार करने पर जो जोर दिया जा रहा है। जिलाधिकारी। जिला योजना को भी मॉडल रूप देने के मूड में है तथा उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए धन की कमी को आडे ना आने देने का इरादा बनाया हुआ है।
उद्यान विभाग की कार्य योजना को यदि पंख लगते हैं तो विभाग की नर्सरींयों की जो भूमि संगध व चाय के पौधों के लिए दी हुई है, उसे वापस लेने के साथ बालाकोट ब्लॉक में नई नर्सरी बनाने की जरूरत है, जहां अभी एक भी नर्सरी नहीं है। जिलाधिकारी के इस कदम से किसान बेहद खुश है कि जो भी बाहर से पौध मांगाये जा रहे हैं क्यों नहीं हम अपने ही जिले में इनका इतना उत्पादन करें कि बाहर से मगाने के बजाय इनका निर्यात करने की परिस्थितियों पैदा करें। निजी नर्सरी को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। बाराकोट ब्लॉक से रिटायर्ड हो चुके एडियो एम एस रावत की मेहनत जिस दिन रंग लाएगी, उसी दिन यहां के लोगों को घर बैठे कश्मीरी अखरोट खाने का मौका मिलेगा। बहरहाल उद्यान विभाग जिस तेजी के साथ सीएम धामी के मिशन को जमीनी रूप देने में लगा हुआ है उसे देखते हुए विभाग को जिला योजना में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध किए जाने चाहिए। वीरान पड़ी खतेडा नर्सरी की बदली हुई तस्वीर देखने से विभाग के ऐडियो आशीष रंजन खर्कवाल के इस दावे में शक करने की गुंजाइश नहीं है कि कुछ ही वर्षों में यह भूमि सोना उगलने लगेगी।

By Jeewan Bisht

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