लोहाघाट। झुमाधुरी के नंदाष्टमी महोत्सव के अंतिम दिन आज कोई बीस हजार लोग देवी रथ यात्राओं के साक्षी बने। सुबह से ही बारकोट,लोहाघाट, चौमेल, खेतीखान, पुल्ला,गुमदेश आदि स्थानों से लोगों का रुख लगभग छः हजार फीट की ऊंचाई में स्थित झुमाधुरी की पहाड़ी की ओर था। शुक्रवार की रात को यहां देवी जागरण हुआ, जहां निःसंतान महिलाओं ने रात भर हाथ में दीपक लिए मां झूमादेवी से मनौतिया मांगती रही। झुमाधुरी का मंदिर निःसंतान महिलाओं की गोद भरने वाली देवी के रूप में पहले से ही जाना जाता है
रातभर यहां पांच हजार से अधिक महिलाएं देवी जागरण में शामिल थी, जो अपने में एक रिकॉर्ड भीड़ थी। यहां जन सहयोग से रात भर भंडारा भी चलता रहा। महोत्सव के कारण यहां हर वर्ष नागरिक सुविधाओं का विस्तार होता जा रहा है। इतनी ऊंचाई में सबसे बड़ी समस्या पेयजल की थी जो, पिछले दो वर्षों से हल हो गई है। अब झूमाधुरी की पहाड़ी के अलावा इसकी तलहटी खाल नामक स्थान में भी मेला आयोजित होने लगा है। इस मेले में विभिन्न स्थानों से व्यापारी व्यापार करने के लिए आते हैं। शुक्रवार की रात को पाटन-पाटनी एवं रायकोट गांव में भी देवी जागरण हुआ तथा देव डांगरों में मां भगवती का अवतरण हुआ।
दोपहर दोनों गांवों से देवी रथ यात्राएं शुरू हुई। पाटन पाटनी के मंदिर में उमेश पाटनी एवं धन सिंह में मां भगवती तथा रायकोट के दान सिंह में भगवती तथा राधा देवी में मां काली अवतरित हुई। पहले पाटन पाटनी गांव से भगवती की शोभायात्रा निकली, उसके बाद रायकोट गांव से महाकाली की। दोनों रथ यात्राओं ने खाल नामक स्थान में विश्राम किया, जहां पर देव डांगरों को चावल व दूध का भोग लगाया गया। पहले इस स्थान में कटरे की बलि दी जाती थी। पिछले तीन दशक से यह प्रथा बंद हो गई है। इस स्थान से दोनों रथों को श्रद्धालुओं द्वारा खड़ी चढ़ाई में रस्सों से खींचते हुए ले जाया गया। यह रोमांचक नज़ारा हजारों लोगों ने अपने कैमरे में भी कैद किया। दोनों रथों के मंदिर में पहुंचने पर मंदिर की परिक्रमा की गई तथा देवडांगरों ने सभी को आशीर्वाद दिया। निःसंतान महिलाओं ने रथ के नीचे से गुजर कर मनौतिया मांगी। मंदिर परिसर में रथों के पहुंचने के साथ ही पूरा मेला प्रांगण लोगों से भर गया। दिन भर सुहाना मौसम बना रहा। हालांकि दोनों रथों के मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही ऊपर से हल्की बूंदा-बांदी होने लगी, जिसको एक शगुन माना जाता है। मेले में भारी भीड़ के चलते व्यापारियों के चेहरे खिले हुए थे। मेले में पुलिस का व्यापक बंदोबस्त किया गया था। महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष मोहन चन्द्र पाटनी ने पुलिस प्रशासन व सभी नागरिकों, ग्रामवासियों द्वारा दिए गए सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने दावा किया कि मेले में 25 हजार से अधिक लोगों ने मेले में भाग लिया।