लोहाघाट। कहा जाता है की डॉक्टर भगवान का ही दूसरा रूप होता है। जब व्यक्ति कष्ट में होता है तो वह माता-पिता, भगवान व डॉक्टर को ही याद करता है। आज के भौतिकवादी युग में चिकित्सा पैशे में लगातार कम होती जा रही है मानवीय संवेदनाओं ने इस पैशे के सामने प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। इसके बावजूद भी यदि किसी संस्कारी परिवार का कोई डॉक्टर बन जाता है तो समझ लीजिए कि वह आम लोगों के लिए किसी देवदूत की तरह काम करने लगता है। राजकीय उप जिला चिकित्सालय की होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ उर्मिला बिष्ट को ईश्वर ने डॉक्टर के साथ ऐसा आत्मीय व्यवहार का गुण दिया है कि उनके सामने रोगी अपना कष्ट ही भूल जाता है। इन्होंने यहां होम्योपैथी चिकित्सा को इतना लोकप्रिय बना दिया है कि लोगों को उपचार करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। महिला रोगियों के लिए तो यह देवदूत बनकर आई है। मात्र दो रुपए की पर्ची में यदि रोगी के हर मर्ज का उपचार हो जाता है तो आज के समय में इससे अच्छा डॉक्टर कहां मिलता है ? एक महिला होने के साथ रोगी को देखते हुए इनमें मां जैसा प्यार व वात्सल्य का भाव भी उमड़ पड़ता है। जिसे देखते हुए रोगी को पक्का यकीन हो जाता है कि अब वह ठीक हो जाएगा।

By Jeewan Bisht

"द पब्लिक मैटर" न्यूज़ चैनल पर स्वागत है. यहां आपको मिलेगी उत्तराखंड की लेटेस्ट खबरें, पॉलिटिकल उठापटक, मनोरंजन की दुनिया, खेल-जगत, सोशल मीडिया की वायरल खबरें, फिल्म रिव्यू, एक्सक्लूसिव वीडियोस और सेलिब्रिटीज के साथ बातचीत से जुड़े रहने के लिए बने रहे "द पब्लिक मैटर" के साथ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *