देवीधुरा। आदित्य सूर्य मंदिर , रमक में चल रही श्रीमद्भागवत पुराण कथा में दो दर्जन छात्र-छात्राओं ने अपनी विशिष्ट सेवाओं व सनातन प्रेम ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया हुआ है। केएम एस इण्टर कॉलेज नानकमत्ता एवं आदित्य पब्लिक स्कूल सिसवा के गर्मियों की छुट्टी में यहां आए बच्चे अपने कार्य, व व्यवहार व संस्कार से अपने विधालय, माता पिता व परिवार का परिचय दे रहे हैं। कथा प्रांगण की सफाई से लेकर श्रोताओं को पानी पिलाने उनके चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने, दरी बिछाने, प्रसाद बनाने से लेकर उसे बांटने, कथा सुनने आए बच्चों को प्यार से चुप कराने के साथ स्वयं मन लगाकर कथा सुनने व भजन कीर्तन में अपने स्वर का जादू बिखेरने से लेकर तमाम ऐसे कार्य रूचि पूर्वक कर रहे हैं जिन्हें आज के समाज के बच्चों में कम देखने को मिलता है।
कथा वाचक एवं पुराणों के मर्मज्ञ आचार्य प्रकाश कृष्ण शास्त्री तो बच्चों की सेवा से इतने प्रभावित हैं कि उन्होंने व्यास पीठ से कहा कि आज बच्चों को शिक्षा से अधिक संस्कारों की आवश्यकता है। बच्चों का बोलना व संस्कार बता देता है कि उसका परिवार कैसा है। अहंकार उसी को होता है जिसे बिना संघर्ष किए सब कुछ प्राप्त हो जाता है। यदि आप के कारण आप के माता-पिता के आंसु आते हैं तो जान लिजिए कि आप के सभी धर्म कर्म उनके आंसुओं के बह गए हैं। आचार्य ने कहा कि वो व्यक्ति कितना महान होता है जिसकी उपस्थिति से दूसरे व्यक्ति अपना दुःख भुल जाते हैं। संस्कार व संक्रमण एक दूसरे से ही फैलते हैं। संस्कार जहां मानव कल्याण कि ओर ले जाता है वहीं संक्रमण मानव का विनाश करता है। विश्व क्लायण के लिए भागवत कथा करा रहे विधालय के एमडी के सी जोशी, प्रबंधन जे सी जोशी के साथ सेवा कर रहे तरूण भट्ट, खुशबू जोशी, रितू अटवाल, वरुण भट्ट, निशा बहुगुणा, पंकज जोशी आदि कहना है कि मंदिर में सेवा करते हुए उन्हें अलोकिक आनंद की अनुभूति हो रही है।