चंपावत। सरकारी मशीनरी जनहित की योजनाओं को कैसे पलीता लगाकर सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास करती है। इसका एक ज्वलंत उदाहरण गौरा देवी कन्यादान योजना है। योजना के तहत इंटर पास बालिकाओं को आगे पढ़ने या विवाह आदि के लिए सरकार इक्यावन हजार रुपए देती है। इस योजना के तहत जिले की सभी इंटर पास बालिकाओं द्वारा अपने अपने विद्यालयो के माध्यम से 2017 में बकायदा आवेदन कर उन्हें जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में भेजे गए ।इसी के कुछ समय बाद शासन से योजना का नाम बदलकर नंदा गौरा कन्या धन योजना रखकर योजना का किर्यान्वयन समाज कल्याण विभाग से हटाकर इसे बाल विकास विभाग को सौंप दिया गया । विभाग बदलने के साथ ही समाज कल्याण विभाग ने उन सभी 1499 गौरा कन्या धन के आवेदन पत्र बाल विकास विभाग को सौंप दिए । बाल विकास विभाग में तत्काल तो कोई कार्यवाही नहीं की किंतु 2020 में उस समय विज्ञप्ति जारी कर आवेदको को नए सिरे से आवेदन करने को कहा गया । जिस वक्त कोरोना महामारी के चलते लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हुआ था । विभाग द्वारा जारी ताजा विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिन्होंने विभाग में आवेदन किया है उन्हें ही सुविधा का लाभ दिया जाएगा । जिसके आधार पर वह सभी छात्राएं व उनके अभिभावक चंपावत पहुंच गए । जिन्होंने वर्ष 2017 में आवेदन किया था ।
यहां आने पर उन्हें बताया गया है कि आवेदन पत्र समाज कल्याण विभाग में नहीं बल्कि बाल विकास विभाग में जमा आवेदन पत्र की बात कही गई है । जबकि विज्ञप्ति में इस बात का कोई खुलासा ही नहीं किया गया है ।विज्ञप्ति के आधार पर सैकड़ो गरीब छात्राएं दुर्गम क्षेत्रो से यहां पहुंच गई तथा उन्होंने नारेबाजी कर अपना आक्रोश जताया है । प्रभारी जिला अधिकारी के माध्यम से सीएम धामी को ज्ञापन भेजा गया । छात्राओं द्वारा भेजे संयुक्त हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन में कहा गया है कि उन्होंने 2017 में जो आवेदन विद्यालयों के माध्यम से समाज कल्याण विभाग को भेजे थे उन्हीं पर विचार करते हुए उन्हें गौरा कन्या धन योजना का लाभ दिया जाए । इन गरीब छात्राओं ने भरे गले से बताया कि तब से उनके कार्यालयों के चक्कर काटते काफी धन खर्च हो चुका है। तथा धनाभाव के कारण कइयों की शादियां रुकी हुई है ।