लोहाघाट। बाराकोट ब्लाक अंतर्गत आपदाग्रस्त चमनपुर एवं भनखोला के ग्रामीणों के ऊपर बरसाती मौसम में मौत का साया मंडराता रहता है। वर्ष 2007 में भारी वर्षा के कारण इन गांवों में लगभग डेढ़ मीटर भूमि धंसने से सभी मकानों में दरारें आ गई थी। तब जिला प्रशासन के द्वारा इन गांवों का भूगर्भीय सर्वेक्षण कर यहां के लोगों को झिरकुनी, एवं डोबाभागू क्षेत्र में विस्थापित करने का निर्णय लिया था। लेकिन 16 वर्षों बाद भी विस्थापन न कर जिला प्रशासन किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है। ग्रामीणों ने सरकार की उपेक्षा के विरोध में न केवल संसदीय चुनाव का बायकाट करने का निर्णय लिया है, बल्कि प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी का भी इजहार किया है। अंबादत्त जोशी, लक्ष्मी दत्त पंत, महेश पंत, मुकेश पंत, प्रमोद जोशी, भुवन जोशी, नारायण दत्त पंत, ग्राम प्रधान मीनाक्षी जोशी का कहना है कि यहां के तमाम लोग पलायन कर चुके हैं। भनखोला में 25 तथा चमनपुर में 10 परिवार रह रहे हैं। बरसाती मौसम में इनके लिए हर समय मौत का इंतजार रहता है। ग्राम प्रधान मीनाक्षी जोशी का कहना है कि यदि शासन प्रभावित परिवारों का विस्थापन नहीं करता है तो यहां रह रहे लोगों का पांच- पांच करोड़ रुपए का सरकारी तौर पर बीमा कराया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया है कि आपदा मद में प्रतिवर्ष भारी धनराशि खर्च की जा रही है, लेकिन वास्तविक पीड़ितों की सरकार उपेक्षा करती आ रही है, जबकि यहां के लोग लगातार भाजपा सरकार का सहयोग एवं समर्थन करते आ रहे हैं, यह सरकार भी उनकी कोई सुध नहीं ले रही है।