
लोहाघाट। लधिया घाटी के खरहीं गांव में चल रही श्रीकृष्ण लीला के दूसरे दिन दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी। देर रात तक लोग लीला का आनंद लेते रहे। दूसरे दिन की लीला में महाराजा उग्रसेन अपनी वृद्धावस्था को देखते हुए राजसत्ता कंस को सौंपने पर विचार करते हैं। उनके राज्य में प्रजा सुखी थी साधु संतों का सम्मान एवं धर्म प्रेमी लोग सुखी थे। कंस को सत्ता की बागडोर मिलते ही महाराजा उग्रसेन की भावनाओं के विपरीत कंस ने शासन चलाना शुरू किया, जिससे प्रजा में त्राहिमाम मचने लगा। महाराजा उग्रसेन ने बेटी देवकी के यौवन की दहलीज में पहुंचने पर उसका धूमधाम के साथ वसुदेव से विवाह कर दिया। कंस भी बहन को पहुंचाने उसके ससुराल तक जा रहा था कि मार्ग में जाते समय आकाशवाणी हुई कि कंस देवकी का आठवां पुत्र काल बनकर तेरा सर्वनाश करेगा। ऐसा सुनते ही कंस अवाक रह गया तथा उसने आनन फानन में देवकी को ही मारने का मन बनाया। लेकिन वासुदेव के यह कहने पर कि वह देवकी से होने वाले सभी पुत्रों को उन्हें सौपता रहेगा। बहनोई से मिले वाक्य दान के बाद कंस मान गया, लेकिन प्रजा पर उसके अत्याचार बढ़ते ही गए। लीला में उस समय रोचकता आ गई जब पिता पुत्र कंस व देवकी का अभिनय करने मंच में उतरे। कंस का अभिनय करते हुए नवीन कोटिया तथा देवकी का अभिनय अंकित कोटिया ने अपनी अदाकारी से दर्शकों की आंखें नम कर दी। वसुदेव का देवकीनंदन, शूरसेन का चंद्रशेखर जोशी, रानी का नरेश कोटिया ने किरदार निभाया। भास्कर भट्ट एवं महिमन शर्मा के निर्देशन में सभी कलाकारों को गहन प्रशिक्षण मिलने से लीला की रोचकता एवं रोमांच बढ़ता जा रहा है। लीला के आयोजन में सतीश शर्मा, गुमान सिंह, चननाथ, रघुवर सिंह, मुरली जोशी, जगदीश शर्मा, शंकर शर्मा, बृजेश शर्मा, मोहन जोशी, शिवराज सिंह, भरत सिंह, दीपक सिंह, जगदीश राम, आई डी कोटिया आदि तमाम लोग आयोजन में जुटे हुए हैं। समिति के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने सभी दर्शकों का स्वागत किया।