चंपावत। हाड़तोड़ मेहनत के बाद सिस्टम की खराबी के चलते अपने उत्पादों को बाजारों में पानी के मोल बेचते आ रहे किसानों के लिए अच्छी खबर है। स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग एंड एंपावरिंग उत्तराखंड “सेतु” द्वारा ऐसी पहल की गई है, जिसमें किसानों के उत्पादन की बिक्री के लिए ऐसा चक्र बनाया जा रहा है, जिसमें उनके उत्पादों का पूरा मूल्य मिलने के साथ उन्हें तकनीकी जानकारी भी मिलेगी। सेतु आयोग के उपाध्यक्ष एवं कारपोरेट जगत में अपनी गहरी पैठ रखने वाले राजशेखर जोशी ने पर्वतीय क्षेत्रों की विषम परिस्थितियों में की जाने वाली खेती के अपने अनुभव को जोड़ते हुए उनके द्वारा ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि जिससे बिचौलिए उत्पादकों का खून चूसने के बजाए अब सेतु द्वारा कृषि विभाग से मिलकर समग्र विकास का ऐसा चक्रीय ढांचा तैयार किया है, जिसमें टाटा व आईटीसी जैसी कंपनियों ने अपनी काफी दिलचस्पी दिखाई है। पहाड़ों में पारंपरिक तौर पर की जा रही खेती को आधुनिक कृषि तकनीक से जोड़कर उत्पादन को बढ़ाने एवं उसकी गुणवत्ता को और बेहतर रूप दिए जाने की पहल किए जाने से किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा। जोशी के अनुसार उत्तराखंड में 50 फ़ीसदी किसान खेत से ही अपना पेट पालते आ रहे हैं। राष्ट्रीय औसत की तुलना में यहां के सकल घरेलू उत्पाद 16 फीसदी के स्थान पर नौ फ़ीसदी में ही सीमित कर रह गया है। सेतु ने यहां बीज का उत्पादन करने के लिए भी देश की नामी आईटीसी कंपनी के साथ इस ओर कदम बढ़ाए हैं। इस कार्य में कंपनी हर प्रकार से किसानों को सहयोग करेगी। टाटा जैसी कंपनियों ने यहां के लाल चावल, मुंह का स्वाद बदलने वाले राजमा, एप्पल जूस कंसंट्रेटर में अपनी काफी दिलचस्पी दिखाई है। जोशी का दावा है कि इस पहल से किसानों के चेहरों में नई मुस्कान आने के साथ उनकी आमदनी में भी काफी इजाफा होगा।

By Jeewan Bisht

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