चंपावत। उत्तराखंड राज्य में सभी प्रकार की भर्तियों में जिस प्रकार लगातार घोटाले होने से मेधावी एवं प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के अरमान ध्वस्त होने से उनके सामने एक सवाल पैदा हो गया था कि वह जाएं तो जाएं कहां? भर्तियों में हुई धांधली से यहां का युवा उत्तराखंड में अपना भविष्य असुरक्षित महसूस करने लगा था। पहाड़ में ऐसे साधन विहीन लोगों की संख्या कम नहीं है, जो पत्नी के जेवर बेचकर या खेत गिरवी रखकर अपने बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक तंगी को आड़े नहीं आने देते हैं। भर्तियों में लगातार हुए घोटालों ने तो मेधावी युवाओं के परिवारों में टेंशन पैदा कर दिया था। भर्ती घोटालों को लेकर धामी सरकार द्वारा कड़ा कानून बनाने एवं इन घोटालों में लिप्त लोगों को कानूनी शिकंजे में लाने से युवाओं में थोड़ी भविष्य की आस जगी। लेकिन हाल के महीनों में हुई भर्तियों के जो परिणाम सामने आए हैं, उससे युवाओं को पक्का यकीन हो गया है कि धामी सरकार की करनी और कथनी में कोई अंतर नहीं है। इस संबंध में राजकीय पीजी कॉलेज के छात्र-छात्राओं से हुई बातचीत की गई। मनीष चौधरी का कहना है किअब युवाओं को पूरा भरोसा हो गया है कि उनका भविष्य धामी सरकार ने सुनिश्चित कर दिया है। हालिया परीक्षा परिणाम से यह बात सामने आई है कि उन युवाओं के नाम सफलता की सूची में आए हैं, जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस बेईमान व्यवस्था में वे कहीं टिक भी पाएंगे?
छात्र सुमित मुरारी का कहना है कि भर्ती घोटाले तो राज्य बनने के बाद से ही चले आ रहे थे। हर सरकार सड़ी हुई लाश में इत्र फेंक कर युवाओं के साथ क्रूर मजाक करती आ रही थी, लेकिन वास्तव में मुख्यमंत्री धामी पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने इस नासूर का जड़ से इलाज किया है।
छात्र विजय सिंह का कहना है कि गरीब छात्र छात्राओं के लिए तो नया सवेरा आया है। अब धामी सरकार में इस मुद्दे को लेकर संदेह करने की सभी संभावनाएं कपूर की तरह उड़ गई हैं। धामी जी ने वास्तव में पहाड़ के लोगों का दर्द समझा है।
छात्रा खुशी कहती हैं कि परीक्षाओं में इतनी पारदर्शिता आएगी इसकी उन्हें कभी उम्मीद तक नहीं थी, क्योंकि भर्तियों के जो परिणाम आते थे उसे देखकर मेधावी छात्र तो माथा पीटने के लिए मजबूर होते थे। भला हो धामी जी का जिन्होंने तगड़ा कानून बनाकर गरीब मेधावी छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत दी है।