लोहाघाट।वीर बाल दिवस के अवसर पर नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के दो साहबजादों बाबा जोरावर सिंह एवं बाबा फतेह सिंह द्वारा सनातन एवं सिक्ख धर्म तथा भारत के गौरव शाली इतिहास को दोहराते हुए इन साहबजादों ने जो अपना बलिदान किया उसे इतिहास नहीं झुठला सकता और जब कभी धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए दिए बलिदान करने वालों की चर्चा होगी तो दोनों साहबजादों का नाम अपूर्व श्रद्धा के साथ लिया जाएगा।। लोहाघाट के एनेक्सी भवन में आयोजित समारोह में उस समय लोगों की आँखें नम हो गई जब कार्यक्रम के जिला संयोजक मोहित पाठक ने औरंगजेब द्वारा किस प्रकार गुरु महाराज के पुत्रों की शहादत के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिसमें अबोध जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह ने अपना धर्म और संस्कार बदलने के बजाय इस क्रूर शासक के फरमान को स्वीकार कर लिया जिसमें दोनों एक दीवार में चिन दिया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे वीर बालकों को राष्ट्रीय सम्मान आजादी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया उन्होंने कहा 1705 ईसवी को 21 से 27 दिसंबर के बीच जहां 26 दिसंबर को बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में चिन दिया गया वहीं इससे पूर्व उनके दोनों बड़े पुत्र अजीत सिंह एवं सिरसा सिंह को घात लगाकर उनकी हत्या कर दी गई।। मंडल अध्यक्ष सचिन जोशी की अध्यक्षता एवं महामंत्री गिरीश कुंवर ने किया। इस अवसर पर दीपक जोशी सतीश खर्कवाल, रेनू गड़कोटी, चंद्र शेखर बगौली, गोविंद वर्मा राजू गड़कोटी, दीपक सूतेडी, भुवन बहादुर, बलवंत गिरी, पंकज ढेक, सूरज कुमार, गौरव पाण्डेय, दीपक गोस्वामी मौजूद थे। उधर गुरुद्वारा रीठा साहिब में भी बच्चों को गुरुद्वारा प्रबंधक बाबा श्याम सिंह ने दोनों साहबजादों की वीरता की कहानी सुनाते हुए महान बनने की प्रेरणा दी।