चंपावत। श्रावण मास के पहले सोमवार को नगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों के देवालयों व शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने लगी थी। प्रमुख सिद्धपीठ मानेश्वर में विद्वान संत स्वामी धर्मदास जी ने पीठाधीश्वर के पद पर आरूढ़ होने के बाद यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ बढ़ने लगी है। लोहाघाट के प्रसिद्ध रिशेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही लोगों ने उपवास रखकर शिव शक्ति में जलाभिषेक करना शुरू कर दिया था। मानेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी धर्मदास जी महाराज के अनुसार आज श्रावण मास के सोमवार को 72 साल बाद ऐसा दुर्लभ संयोग आया है कि श्रावण मास की शुरुआत सोमवार तथा 19 अगस्त को इसका समापन भी सोमवार को ही हो रहा है। ऐसा संयोग 27 जुलाई 1953 को आया था। इस बार सावन में 6 शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है।
स्वामी जी के अनुसार श्रावण मास के सोमवार को व्रत रखना काफी फलदाई होता है। अविवाहित कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य को प्राप्त करती हैं। पारिवारिक जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आती है और सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जिसमें सोमवार से सावन का शुभारंभ होना हर दृष्टि से लाभकारी होता है तथा उपवास रखकर भगवान शिव में जलाभिषेक कर बिल्व पत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तथा भक्त के कुंडली के सभी ग्रहण दोष, राहु दोष, गुरु चांडाल दोष आदि समाप्त हो जाते हैं। इस माह भगवान शिव ने जनकल्याण के लिए हलाहल विशपान किया था। इसी माह समुद्र मंथन भी हुआ था। भगवान शिव के विशपान करने के बाद उग्र विश को शांत करने के लिए ही शिव भक्त कांवड़ियों एवं अन्य माध्यम से भगवान शिव का जलाभिषेक तब से करते आ रहे हैं, जिससे भक्तों को पूरे वर्ष का पुण्य फल मिलता है। उधर बाराही धाम देवीधुरा समेत रामेश्वर,पंचेश्वर, चमदेवल आदि मंदिरों में भी काफी भीड़भाड़ रही।