चंपावत। चंपावत जिले में उद्यान विभाग द्वारा केसर की खेती को बढ़ावा दिए जाने के लिए चंपावत, लोहाघाट, बाराकोट, खेतीखान आदि स्थानों में डेढ़ दर्जन किसानों के खेतों में किए गए ट्रायल को सफलता मिलने के बाद उत्साहित विभाग ने अब इसका प्रक्षेत्र बढ़ाने की कार्य योजना पर कार्य करना शुरू कर दिया है। चंपावत को मॉडल जिला बनाने के क्रम में उद्यान विभाग की कामयाबी इससे भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि केसर को कम भूमि में पैदा कर इससे किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि हिमाचल की तर्ज पर उद्यान विभाग लगातार अपने कदम बढ़ाता जा रहा है। यदि केसर की खेती शुरू हुई तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार में केसर के एक ग्राम की कीमत 3 से 400 रुपए तक है। इसके लिए हल्की पोली ऐसी जमीन चाहिए, जिसमें सिंचाई की भी अधिक आवश्यकता नहीं होती है। जिले में इंटीग्रेटेड फार्मिंग को बढ़ावा दिए जाने के प्रयासों में केसर का उत्पादन एक नई कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। डीएचओ टीएन पांडे के अनुसार इस दफा कश्मीर के सम्पोर केसर अनुसंधान केंद्र से केसर की डिमांड बढ़ा दी गई है। लेकिन मांग अधिक होने के कारण इसके रेट में भी काफी इजाफा आ गया है। डीएचओ के अनुसार केसर का प्रक्षेत्र बढ़ाने के लिए किसानों का चयन किया जा रहा है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो एक किसान को 20 किलो केसर के बल्ब देने की योजना बनाई गई है। डेढ़ हजार फिट की ऊंचाई में केसर को पैदा किया जा सकता है। इस कार्य में डीएम नवनीत पांडे द्वारा खासी दिलचस्पी लिए जाने से इस कार्यक्रम में और तेजी आ रही है।
जिलाधिकारी का मानना है की जिले के युवाओं को इन कार्यक्रमों से जोड़कर उनके लिए रोजगार के सम्मानजनक अवसर पैदा किए जाने हैं। इधर आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ पीएस बसेरा के अनुसार आयुर्वेद का केसर ऐसा महत्वपूर्ण घटक है, जो कई जीवन रक्षक दवाओं में प्रयोग किया जाता है। यहां पैदा होने वाला केसर जैविक होने के साथ विशेष असरदार होगा, जिसकी बाजार में अधिक कीमत मिलेगी।