चंपावत। चंपावत को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना के अनुरूप हिमालयी राज्यों का मॉडल जिला बनाने के लिए उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) के दिशा निर्देशन में भारत सरकार के डेढ़ दर्जन वैज्ञानिक संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा विकास का जो मॉडल तैयार किया गया है, उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं, जब इस मॉडल को धरातल में देखने के लिए हिमालयी राज्यों के वैज्ञानिकों एवं लोगों का रुख चंपावत की ओर होगा। मॉडल को ऐसा रूप दिया गया है जो लोगों के चेहरों में खुशहाली की मुस्कान परिलक्षित करने के साथ उनके भविष्य की दिशा व दशा तय करने के अलावा भावी पीढ़ी को अपने ही जनपद में जीवन की ऊंची उड़ान भरने के लिए सभी साधन व संसाधन उपलब्ध होंगे। मॉडल जिले की नोडल एजेंसी के प्रमुख यूकोस्ट के महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत एवं समन्वयक प्रह्लाद अधिकारी के नेतृत्व में वैज्ञानिकों द्वारा जिले के ओर-छोर की भौगोलिक, सामाजिक,आर्थिक परिस्थितियों का गहन अध्ययन करने के साथ लोगों से भी संवाद स्थापित कर इस बात का खुलासा किया कि जो मॉडल जिला आपकी तकदीर एवं क्षेत्र की तस्वीर बदलने के लिए तैयार किया जा रहा है,इसे आप किस रूप में,कैसे,किस प्रकार का,किस प्रकार के कार्य देखना चाहते हैं? भ्रमण के दौरान वैज्ञानिकों के दल ने गांवों के हर उम्र के लोगों से संवाद कर उनकी भावनाओं का समावेश किया गया है। अध्ययन दल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली महिलाओं, महिला समूहों, दस्तकारों, रंगकर्मियों,उद्यमियों, स्वयं सहायता समूह आदि से भी सीधा संवाद कर उनकी मनोदशा को समझा। अध्ययन दल के सदस्यों में शामिल उन्मेष कुलकर्णी,पूना से रोहन जूंजा, देहरादून से वेदांत त्यागी और रिक्ता कृष्णास्वामी, मसूरी से सोनम सोरेंग एवं गोवा से डेनिश ने जिलाधिकारी नवनीत पाण्डे को आदर्श जिले के मसौदे की जानकारी देते हुए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की तथा जन संवाद में में सुझावों पर भी विचार विमर्श किया गया। अध्ययन दल ने पाया कि जिले में स्वरोजगार,पर्यटन विकास,कृषि,बागवानी,दुग्ध उत्पादन,मौनपालन,मत्स्य पालन आदि कई क्षेत्रों में रोजगार एवं विकास की अपार संभावनाएं हैं। अध्ययन दल का यह भी मानना है कि जिन परिस्थितियों के कारण लोग अपनी माटी से दूर हुए हैं, उनके लिए यहां अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर उन्हें पुनः अपनी माटी से जोड़ा जा सकता है।
आदर्श जिला बनाने के लिए जिले के ओर-छोर का पैदल भ्रमण कर लोगों के जज्बातों को नजदीक से समझ चुके जिलाधिकारी नवनीत पाण्डे का कहना था कि जिले की भौगोलिक, सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों के साथ यहां उपलब्ध साधन व संसाधनों का नियोजित एवं वैज्ञानिक तरीके से दोहन कर शिक्षित बेरोजगारों की प्रतिभाओं को देखते हुए उन्हें गावों में ही रोजगार से जोड़ा जा सकता है। मौजूदा समय में जब मैदानी क्षेत्रों में प्रकृति आग उगलने लगी है तब यहां से पलायन कर चुके लोगों को अपने पुश्तैनी घर की यादें आने के साथ उनका दृष्टिकोण यहां तक बदला देखा गया है कि वे गर्मियों में चार-छः माह तो अपनी जन्मभूमि की ठंडी आबोहवा के बीच बिताएंगे।

By Jeewan Bisht

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