चंपावत। जिला मुख्यालय में आयोजित तीन दिवसीय आयुष एवं आयुष चिकित्सा शिविर लोगों को आयुष चिकित्सा के बारे में बेमिसाल जानकारी देने के साथ उन्हें अपने बहुत करीब लाकर हमारे ऋषि मुनियों की इस विधा का प्रचारक भी बना दिया। आयुर्वेद, होम्योपैथिक, युनानी, सिद्धा एवं योग (आयुष) चिकित्सा के गर्भ में छिपे रहस्यों को लोगों ने पहली बार जाना तथा सरकार से मांग उठाई की आयुष चिकित्सा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उत्तराखंड शासन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य में जो धनराशि खर्च करता है उसका 25 फ़ीसदी बजट आयुष के विकास में खर्च करें तथा 108 की तर्ज पर आयुष सचल चिकित्सा वाहन संचालित किया जाए। इस शिविर ने आयुष के पुनर्जागरण के ऐसे द्वार खोल दिए हैं कि शिविर में आए सैकड़ो रोगियों ने एलोपैथ की दवाओं से तौबा करने का संकल्प लिया। शिविर की सफलता का प्रमाण इस बात से मिलता है कि उन्हें पहली बार आयुष चिकित्सा पद्धति मैं छुपी स्वास्थ्य रक्षा के रहस्यों की जानकारी मिलने के साथ उन्हें यह भी पता चला कि हमारा खानपान, जीवन शैली एवं सोच से ही वह तमाम रोगों को दावत देते आ रहे हैं। शिविर में यह भी पता चला कि लहसुन की फली कच्ची खाने एवं तालियां बजाने से हम अपने बीपी को कम या नियंत्रित कर सकते हैं। शरीर की भी कोई प्रकृति होती है यह भी लोगों को पहली बार पता चला। आयुर्वेद एवं योग की जुगलबंदी से जीवन भर ऐसा आरोग्य मिलेगा जिसमें दवा खाने की जरूरत ही नहीं होगी। शिविर के सफलता के लिए संयोजक एवं जिला आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा अधिकारी आनंद सिंह गुसाई ने जहां खूब बधाइयां बटोरी वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लोगों ने भी खूब दुआएं दीं।
समापन जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी भागवत पाटनी ने शिविर के संचालन में उल्लेखनीय सहयोग देने के लिए उन्हें पुरस्कृत कर सम्मानित करने के साथ कहा इस शिविर ने आयुष पद्धति अपनाने के लिए लोगों को विवश कर दिया है। शिविर के संयोजक डॉ आनंद सिंह गुसाई ने जहां जिला पंचायत द्वारा दिए गए सहयोग के लिए आभार प्रदर्शित किया वहीं उन्होंने आयुर्वेद एवं होम्योपैथिक को नई दिशा व दशा देने का बीड़ा उठाएं सभी सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ अशोक नगरकोटी, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सहिद, डॉ सुधाकर गंगवार, डॉ नमिता अग्रवाल, डॉ एम एल गोले ,डॉ अनुज अग्रवाल, डॉ प्रकाश बसेड़ा, डॉ एन पी सिंह, डॉ भूपेंद्र प्रसाद, डॉ देवेंद्र प्रसाद, डॉ सुमन कनौजिया, डॉ गिरेंद्र चौहान, चीफ फार्मासिस्ट विनय दरमोडा एवं सोनिया आर्या ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा ऐसा शिविर हमें पहली बार देखने का, तथा साथ काम करने, नया अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला। इस शिविर से उन्हें कई नई प्रेरणाऐं मिलने के साथ आयुष को हर क्षेत्र पर सशक्त करने का भी बल मिला है।