लोहाघाट। ईश्वर की कृपा कब और किस पर हो जाए, यह तो वही जानता है लेकिन जीवन से उदास व निराश सकदेना निवासी दंपति देवकी व दीपक सकलानी को पक्का विश्वास हो गया है कि यहां भक्ति में शक्ति छिपी हुई है। दांपत्य जीवन में प्रवेश करने के बाद जब उक्त दंपति के घर काफी समय बाद किलकारी नहीं गुंजी तो वह महर-पिनाना के वैष्णवी शक्तिपीठ की शरण में गए जहां उन्होंने संतान प्राप्ति की प्रार्थना की।ईश्वर ने उनकी प्रार्थना स्वीकार करते हुए देवकी को एक नहीं दो संतान होने का आशीर्वाद दिया। ठीक एक वर्ष बाद देवकी ने पुत्र व पुत्री को जन्म दिया तथा चार साल बाद वह अपने पुरोहित की सलाह पर रुद्रपुर से सकल धाम आए साथ ही उन्होंने यहां सत्यनारायण की कथा तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कराया।
बद्रीनाथ धाम के लघु रूप में प्रसिद्ध इस धाम की अलौकिक मान्यताएं रही हैं किंतु प्रचार प्रसार के अभाव के बिना यह दिव्य स्थल श्रद्धालुओं की दृष्टि में ओझल बना हुआ है। बैसाखी पूर्णिमा को इस धाम के कपाट खुलते हैं। इस वर्ष जिलाधिकारी नवनीत पांडे इस अवसर पर वहां पहुंचे थे जिससे इस धाम के विकास के द्वार अब खुल गए हैं। कार्तिक पूर्णिमा को धाम के कपाट बंद होंगे। कैन्यूडा गांव के लोग पारंपरिक रूप से मंदिर के पुजारी होते हैं तथा यह शताब्दियों से मांसाहार नहीं करते हैं जिससे उन्हें "निर्मांशी"कहां जाता है। मंदिर में किसी भी प्रकार की बलि देना पूर्ण वर्जित है तथा हल न चलाने वाले पुरोहित ही यहां पूजा कर सकते हैं। यहां विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का काफी महत्व है। शिक्षाविद् के एन जोशी के अनुसार इस धाम की विशेषता यह है कि आस्था व श्रद्धा के साथ आया उपासक कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। पूरे नवरात्रों में यहां देवी जागरण किया गया जिसका भंडारे के साथ समापन हुआ।