लोहाघाट। सरकार जनता के द्वार की सही मायनों में शुरुआत वर्ष 2004 में चंपावत जिले से की गई थी । इसकी शुरुआत आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस जिलाधिकारी गोपाल कृष्ण द्विवेदी ने शुरू की थी ।यह शुरुआत ऐसे समय में की गई थी जब जिलाधिकारी ने देखा कि वर्ष 15 सितंबर 1997 को अस्तित्व में आए जिले में संरचनात्मक ढांचे में कमी व काफी अव्यस्थाए है। पिथौरागढ़ जिले से उधार में चल रही व्यवस्थाओं के माहौल में श्री द्विवेदी ने बहुउद्देशीय सुविधा शिविरों की अवधारणा को जमीनी रूप देना शुरू किया था। इन शिविरों से स्थानीय समस्याओं का स्थानीय स्तर पर निराकरण तेजी से होने लगा। हर शिविर में लोगों द्वारा दर्ज की समस्याओं की बकायदा रिकॉर्डिंग करने के साथ राज्य सरकार को भेजी समस्याओं का पीछा किया जाता था ।यानी इन शिविरों के जरिए वास्तव में लोगों को इतना लाभ मिलने लगा कि उनकी जिला व परगना स्तर पर की दौड़ बहुत कम हो गई इन शिविरों के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को देखते हुए अन्य जिलों में भी इसे अपनाया जाने लगा । यहां तक कि जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी को इन शिविरों की जानकारी मिली तो उन्होंने इसे पूरे उत्तराखंड में ही लागू कर दिया।
इन शिविरों में जहां डीएम श्री द्विवेदी की लोकप्रियता परवान में पहुंच गई उन्होंने भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार करते हुए निर्माण कार्यों में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए निगरानी समितियों का भी गठन किया । जिससे लोग स्टीमेट के हिसाब से निर्माण कार्यों को ठेकेदारों से संपादित कराने लगे। उन्होंने बकायदा कार्यों के स्टीमेट की प्रतियां भी दी जाती थी। सरकारी तौर पर गठित निगरानी समितियों के कारण दूरदराज के ऐसे क्षेत्रों में भी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में व्यापक सुधार आया। जहां लंबी पैदल दूरी तय कर पहुंचा जाता था ।इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि ऐसे व्यापक जनहित को प्रभावित करने वाले कार्यक्रमों को धारा का रूप नहीं मिल पाता है जबकि यह शिविर वास्तव में सरकार जनता के द्वार की अवधारणा को साकार करते आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री धामी को यदि वास्तव में आम जनता की सेवा करनी है तो बहुद्देशीय जनसुविधा शिविरो को पूरे उत्तराखंड में लागू करना होगा।
बहुद्देशीय शिविरो का शीघ्र ही तैयार किया जा रहा है रोस्टर।
लोहघाट नवागत जिलाधिकारी नवनीत पांडेय का कहना है कि आम लोगों को उनके घर के पास शासकीय सुविधाओ से जोड़ने एवं उनकी परगना या जिला मुख्यालय की दौड़ कम करने के लिए बहुउद्देशीय जन सुविधा शिविरो की परिकल्पना व्यवहारिक एवं कारगर साबित हुई है। चम्पावत जिसे हम मॉडल जिले की शक्ल देने जा रहे है ऐसे सामाजिक माहौल में बहुद्देशीय शिविरो को प्रभावी रूप से संचालित किया जाएगा। जिससे जनता को वास्तविक लाभ मिल सके।