लोहाघाट ।
नेपाल सीमा से लगे कायल गांव के लोग अब सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैया के विरोध में गांव से सामूहिक रूप से पलायन करने का मूड बना रहे हैं ।भारतीय किसान यूनियन ने इस गांव की समस्याओं को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया है ।ईश्वर ने यहां सोना उगलने वाली भूमि दी है ,जिसमें लाल धान ,मडवा,काला भट्ट, झिंगोरा, सोयाबीन,आम ,लीची आदि फल और सब्जियों का बहुत उत्पादन होता है लेकिन उत्पादों को बाजार तक लाने के लिए चार किलोमीटर से अधिक पैदल दूरी तय करनी पड़ती है ।यहां की भूमि को और उर्वरा बनाने के लिए भारी धन राशि खर्च कर नलकूप खंड टनकपुर द्वारा लिफ्ट सिंचाई योजना बनाई गई। जिसके पाइप आज भी खेतों में दबाए नहीं गए हैं जिससे जुताई के वक्त किसानों को काफी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती है।
वर्ष 2013-14 में देवी आपदा के बाद भी यह योजना लाखों रुपए चट कर गई लेकिन लोग एक एक बूंद पानी के लिए तरसते रहे ।वैसे नलकूप खंड के अभियंता कब आपदा आए इसकी इंतजारी करते रहते हैं ।
कुछ माह पूर्व किसान यूनियन की ओर से मोहन चंद पांडे द्वारा पुल्ला तहसील दिवस में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।डीएम भंडारी ने इसे गंभीरता से लेते हुए लिफ्ट सिंचाई योजना ठीक करने हेतु आठ लाख रुपये स्वीकृत किए जिसे खर्च करने के बाद भी योजना से एक बूँद भी पानी नहीं टपक रहा है।
किसान यूनियन का कहना है कि सड़क से दूर होने के कारण क़ायल गाँव में जहां कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं आता हैं जिससे नलकूप खंड की मनमानी व सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम चल रहा है ।
आरोप है कि इस कार्य में नलकूप खंड का स्थानीय अवर अभियंता स्थानीयता का लाभ उठाते हुए स्थानीय लोगों को गुमराह करता है ।इसने ऐसे ठेकेदारों का गिरोह भी बनाया है जो विभागीय योजनाओं में चूना लगाने में माहिर बताये जाते हैं। यूनियन के अध्यक्ष नवीन करायत का कहना है कि किसान के लिए रोजगार का साधन ही खेत होता है ।यदि खेत की सिंचाई का साधन होते हुए जब खेत सूखे पड़ जाते हैं तो किसान का दर्द स्वयं समझा जा सकता है ।यूनियन का दावा है कि कायल गांव में सिंचाई सुविधा मिलने से इस गांव के लोग दूसरों का पेट पालने में पूरी तरह सक्षम है ।
यूनियन का कहना है कि क़ायल ऐसा गांव है जहां के लोग रासायनिक खाद व कीटनाशकों के बारे में जानते तक नहीं है। यहां पूरी जैविक खेती होती है।यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि एक पखवाड़े के अंदर यहां की लिफ्ट सिंचाई योजना की जांच कर उसे चालू नहीं किया गया तो लोहाघाट के उप जिलाधिकारी कार्यालय में वह धरना देंगे।
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