चंपावत। जिले के हर क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलाव, कार्यों को लटकाने तथा टरकाने की संस्कृति में विराम लगने के साथ हर कर्मचारी अब उत्तरदायित्व पूर्णभाव महसूस करने लगे हैं। यह प्रवृत्ति व संस्कृति तब बदली है जब नए डीएम मनीष कुमार ने स्वयं 12 घंटे फील्ड में उतर कर आपदा से निपटने व चुनाव के सफल संचालन के लिए युद्ध स्तर पर किए जा रहे प्रयास है। अब कर्मचारियों अधिकारियों के काम करने के तौर तरीकों में सतही बदलाव दिखाई देने लगा है ।जिसमें डीएम के “क्विक डिसीजन” एंड “क्विक एक्शन” की कार्यशैली को देखते हुए उसी के अनुरूप परिणाम भी सामने आ रहे हैं। यही वजह है कि दोनों मोर्चों में चंपावत जिले ने पूरी तरह अपने को तैयार कर लिया है। जिले में विकास कार्य प्रभावित न हो इस पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
डीएम के तेवर देखते हुए विकास कार्यों की गुणवत्ता में स्वयं सुधार इसलिए आ रहा है कि अब देखने वाला डीएम के साथ इंजीनियर भी है। डीएम के दौरे के बाद जल भराव एवं भूमि कटाव की जो स्थिति थी उसमें तेजी से काम चल रहा है। “मुझे आंकड़े नहीं परिणाम चाहिए” कि कार्य संस्कृति ने सब कुछ बदलता जा रहा है।
चारों ब्लॉक में पंचायती चुनाव की पुख्ता व्यवस्था करने, मतदाताओं को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो, गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव, निर्माण स्थलों में श्रमिकों की सुरक्षा, चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी, त्रुटिहीन बनाने की दिशा में भी काम हो रहा है। अब डीएम के हस्तक्षेप के बाद बिजली विभाग का करोड़ों रुपए दबाएं बैठे विभिन्न विभागों के अधिकारी हरकत में आने लगे हैं। सरकारी कार्यालयो,फील्ड कर्मियों की अपने तैनाती स्थल में पूरी उपस्थिती देखी जा रही है। डीएम के साथ सीडीओ समेत अन्य आला अफसर भी रहते हैं।
