चंपावत। ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षा के केंद्र जीआईसी बापरू का आवेश एवं परिवेश भले ही चमक-धमक वाला नहीं है, लेकिन यहां गुदड़ी के अंदर लाल छुपे होने की कहावत चरितार्थ हो रही है। इस विद्यालय में भले ही कक्षा-कक्षों की स्थिति तथा अन्य अभाव बने हुए हैं, लेकिन प्रकाश चंद्र उपाध्याय जैसे कर्मयोगी ऐसे शिक्षक हैं जो मोमबत्ती की तरह जलकर छात्र-छात्राओं के जीवन में उजाला लाने को अपना धर्म मानते हुए इस विद्यालय की गरिमा बढ़ाए हुए हैं। हिंदी, अंग्रेजी,संस्कृत,अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान,शिक्षाशास्त्र में एमए तथा पीजीडीसीए करने के साथ साइबर एक्सपर्ट एवं एआई एक्सपर्ट श्री उपाध्याय में बच्चों के भविष्य को संवारने का ऐसा जुनून है कि यह रविवार व अन्य किसी अवकाश को न लेकर विद्यालय में बच्चों की मेधा को तराशने में लगे रहते हैं। उनके बच्चों के प्रति समर्पण भाव को देखते हुए ही इस विद्यालय में सामाजिक विज्ञान की प्रयोगशाला स्थापित करने का शिक्षा विभाग से उपहार मिला है। यह जिले की पहली प्रयोगशाला होगी, जिसमें बच्चों को सौरमंडल, पृथ्वी की गतियों, ग्लोबल वार्मिंग आदि का तकनीकी एवं व्यावहारिक ज्ञान भी मिलेगा।
शिक्षक उपाध्याय द्वारा यहां राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा के लिए बच्चों को विशेष रूप से तैयार किया जाता है। उनका कहना है कि इस परीक्षा में पाठ्यक्रम से बाहरी प्रश्न आते हैं, जिन्हें नियमित कक्षाओं में पढ़ाना संभव न होने के कारण बच्चों को अवकाश के दिनों में पढ़ाना जरूरी होता है। इस वर्ष यहां के तीन बच्चे राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। वैसे श्री उपाध्याय यहां बोर्ड परीक्षा में शामिल बच्चों को हर विषय अवकाश के दिन पढ़ाते आ रहे हैं। यहां यह भी बताना आवश्यक है कि सामाजिक विज्ञान में यदि यहां के बच्चे बोर्ड में 100 फ़ीसदी रिजल्ट के साथ ही 96 फीसदी तक अंक लाते हैं तथा कक्षा के सभी 29 बच्चे प्रथम श्रेणी में आ जाएं तो यह दूसरे शिक्षकों के लिए सोचने का विषय बन जाता है। दरअसल श्री उपाध्याय चंपावत जिले के शिक्षा जगत के ऐसे सितारे हैं जो अपने को पूरी तरह छात्र-छात्राओं को समर्पित किए हुए हैं। उनका स्पष्ट मानना है कि शिक्षक का अस्तित्व छात्रों को लेकर ही होता है। उन्हीं की वजह से हमें मान और सम्मान भी मिलता है। यही वजह है कि छात्रों के ऊंचे मुकाम में पहुंचने की वास्तविक खुशी उसके माता-पिता के अलावा उनके शिक्षक को ही होती है।