देवीधुरा। बाराही धाम में विश्व कल्याण के लिए आयोजित श्रीराम ज्ञान यज्ञ कथा का विशाल यज्ञ एवं भंडारे के साथ समापन किया गया। चार खाम सात थोकों के प्रतिनिधियों के बीच राज्य सेतु के उपाध्यक्ष,दर्जा कैबिनेट मंत्री राजशेखर जोशी उनके अनुज मोहित जोशी ने विश्व कल्याण एवं उत्तराखंड में सुख शांति समृद्धि के लिए यज्ञ में आहुतियां दी। इस अवसर पर मुख्य यजमान हेम जोशी , लमगड़िया खाम के प्रमुख वीरेंद्र सिंह लमगड़िया, चम्याल खाम के गंगा सिंह चम्याल , गहढ़वाल खाम की ओर से मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, नैन सिंह बिष्ट, नवीन चंद्र सोराडी, गुरना के पुजारी दीपक चंद्र, टकना के हरिदत्त ने यज्ञ में आहुतियां दी।, मथुरा से आए पुरोहित देवेंद्र जी एवं हर्षित उपाध्याय ने पूर्ण विधि विधान के साथ यज्ञ संचालित कराया। इससे पूर्व जोशी ने सिद्धिविनायक पूजन, षोडस मात्रिका पूजन, नवग्रह पूजन, आदि नित्य पूजा अर्चना कर सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। जोशी की ओर से विशाल भंडारा आयोजित किया गया जिसमें पांच हजार से अधिक लोगों ने प्रसाद स्वरूप भोजन ग्रहण किया।
ब्यासपीठ से प्रवचन करते हुए कथावाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा बाराही धाम में श्रीरामजी की ज्ञान यज्ञ कथा का जो भव्य व दिव्य आयोजन हुआ उसकी वे अपने साथ मधुर स्मृतियां लेकर जा रहे हैं। यह ऐसा धाम है जहां आने पर ही मां बाराही की कृपा का एहसास होता है। उन्होंने कथा के आयोजक राजशेखर जोशी एवं उनके अनुज मोहित जोशी को साधुबाद देते हुए कहा आज के समय में उससे महान व्यक्ति दूसरा कोई नहीं हो सकता जो लोग दूसरों की भलाई का सोच रखते हुए कार्य करते हैं। मां बाराही ने उन्हें निमित्त बनाकर भेजा हुआ है। अंतिम दिन जोशी ने श्रीरामकथा ज्ञान यज्ञ के सफल आयोजन के लिए मंदिर कमेटी के मुख्य संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया, चार खाम सात थोकों के प्रतिनिधियों, मंदिर के ट्रस्टी दिनेश जोशी, नरेंद्र लडवाल, हयात बिष्ट, बिशन चम्याल, अमित लमगड़िया, दीपक चम्याल, आचार्य नवीन सोराडी समेत सभी सहयोगियों के प्रति आभार जताते हुए उनके मंगलमय जीवन की कामना की। अंत में व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण ने सभी के मंगलमय जीवन की कामना की। कथा के आयोजक एवं मंदिर कमेटी की ओर से व्यास जी को मां बाराही का स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
देवीधूरा। बाराही मंदिर में उसे समय यह चमत्कार देखने को मिला कि दोनों घुटनों के दर्द से परेशान मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं साध्वी उमा भारती को उस समय मां बाराही के चमत्कार का प्रत्यक्ष एहसास हुआ जब वह पहले तो दर्द के कारण मंदिर में जाने से मना कर रही थी लेकिन एकाएक ही मंदिर में जाने की प्रेरणा मिली तो लौटते वक्त उनके पैरों का दर्द कपूर की तरह उड़ गया था। साध्वी भारती ने कहां वे मां बाराही के इस चमत्कार की घटना को गांठ पाड़कर अपने साथ ले जा रही हैं।