26 जनवरी को पूरे देश में उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजपथ पर देश की सांस्कृतिक, विविधता में एकता, अखंडता और सैन्य ताकत की झलक दिखाई देगी।
हजारों भारतीय गणतंत्र के जन्म का समारोह देखने के लिए आते हैं लाखों लोग टीवी पर देखते हैं यह परेड न केवल राष्ट्र की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करती है बल्कि देश की विविधता को भी प्रदर्शित करती है जो हमारी विरासत का प्रतीक है गणतंत्र दिवस के अवसर पर विभिन्न स्कूल कॉलेज और सरकारी कार्यालय में कार्यक्रम आयोजित होते हैं स्कूलों में निबंध प्रतियोगिताएं भी होती हैं गणतंत्र दिवस मनाते हुए होते हैं एक दूसरे को शुभकामनाएं भेजते हैं।
जब देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो आजाद भारत के लिए एक स्थाई संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को एक समिति बनाई गई थी इस मसौदा समिति या ड्राफ्ट कमेटी के नाम से जाना जाता है डॉक्टर बी. आर. अंबेडकर को उस समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।
4 नवंबर 1947 तक समिति ने संविधान का मसौदा तैयार कर लिया और उसे संविधान संविधान सभा में पेश किया गया था विधान सभा ने संविधान को अपनाने से पहले लगभग 2 वर्षों तक कई सत्रों में इस पर चर्चा आयोजित की थी।
देश ने सबसे पहला गणतंत्र दिवस 1950 में इसी दिन बनाया था उस साल बेहद सर्द मौसम का दिन था, लगातार कई दिनों की धुंध के बाद 26 जनवरी 1950 की सुबह धूप खिली थी यह भारत के एक गणराज्य के रूप में उदय की कहानी बयां कर रही थी उस दिन भारत उपनिवेशवाद की पीढ़ियों से पूरी तरह मुक्त होकर और आजादी पाने के 3 साल बाद वास्तव में संप्रभु गणराज्य बना था उसी दिन यानी 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपना कार्यकाल शुरू किया था उस दिन जैसे ही दिन की शुरुआत हुई थी दिल्ली में नागरिकों ने प्रभात फेरी निकालकर ढोल और शंख बजाए और देशभक्ति के गीत गाए गए। पूरे देश में इसी तरह का जश्न मनाया गया था तब से हर साल 26 जनवरी को देश गणतंत्र दिवस मनाता रहा है।