माँ भगवती के 108 रूपों में से एक रूप माँ वरदायनी का भी है। माँ वरदायनी का मन्दिर जिला चंपावत के बाराकोट ब्लॉक में बरदाखान नामक स्थान पर है। संभवतया माँ बरदायनी के नाम से ही इस स्थान का नाम बरदाखान पड़ा हो, कहा जाता है इस क्षेत्र के लोग माँ बरदायनी को अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजते हैं। इसी मॉ के आशीर्वाद से इस के उपासकों के घर में अन्न की कभी कमी नहीं रहती है। इसीलिए इस क्षेत्र का हर किसान अपनी हर खेती का पहला अंश माँ बरदायनी को अर्पित करता है । पौराणिक लोक कथा के अनुसार जब भी कोई भूखा व्यक्ति यहाँ दर्शन के लिए आता था तो पूजा के बाद जब वह वहां स्थित जल कुण्ड से जल ग्रहण कर प्रसाद के लिए वन्दन करता था तो इस जल कुण्ड से एक खीर की तौली निकलती थी। प्रसाद ग्रहण के बाद उस व्यक्ति को उस तौली को साफ कर उसी कुण्ड में डूबना होता था, एक दिन एक व्यक्ति ने ऐसा नहीं किया वह तौली तो जूठी छोड़ कर चला गया उस दिन के बाद उस कुण्ड से खीर की तौली निकलना बंद हो गया और उस स्थान पर एक पेड़ उग गया इस प्रजाति का कोई दूसरा पेड़ इस क्षेत्र में कहीं पर भी नहीं है। और अधिकतर लोगों को आज भी इस पेड़ का नाम पता नहीं है। अब यह पेड़ काफी बूढ़ा और रोग ग्रस्त हो गया है। जिसको उपचार की नितांत आवश्यकता है। आजकल इस कुण्ड(नौले) को अधिकतर बन्द ही रखा जाता है । आज मैने इस कुण्ड को खुलवाया इसका जल इतना साफ था जिसकी आज कल्पना भी नहीं की जा सकती है, उससे खीर की तौली तो नहीं निकली पर इसके अमृत रूपी जल को पी कर ऐसे आनन्द की अनभूति हुई जैसे वर्षों की प्यास बुझ गयी हो। आप भी कभी यहां दर्शन को जाएं तो इस अमृत रूपी जल को अवस्य ग्रहण करें। एक और कथा के अनुसार जब भी कोई निःसंतान दम्पति शिवरात्री में सारी रात एक ही आशन पर बैठ कर जागरण करते हैं तो माँ बरदायनी एक साल के भीतर ही उसकी झोली को भर देती है। जो भी भक्तजन अपनी आस्था और विश्वास के साथ माँ बरदायनी मंदिर के दर पर आता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती हैं मां वरदायनी मंदिर जो कि अपने सौंदर्य और एकांत स्थान के लिए काफी प्रसिद्ध है। चारों ओर वृक्षों की छाया मानो भक्त को एक अलग ही ऊर्जा प्रदान करती है। आप भी इस मंदिर में एक बार जरूर आइए । यहा का पानी अमृत से कम नहीं ♥️ यहां जो भी भक्तजन अपनी मनोकामना ले कर आता है वो अवश्य पूरी होती है।