लोहाघाट (चम्पावत)। प्राकृतिक रूप से रीठे का स्वाद कड़वा होता है लेकिन आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि चौथी उदासी के दौरान जब हिमालयी क्षेत्र की यात्रा के दौरान गुरु नानक देव जी के इस स्थल में चरण पड़ उन्होंने यहां सत्संग किया। सत्संग के समय उनके शिष्य मर्दाना को भुख का एहसास हुआ तो गुरु जी ने उस पेड़ से फल खाने का इशारा किया जिस रीठे के पेड़ की छांव में सत्संग हो रहा था। गुरु जी की कृपा एवं उनकी आध्यात्मिक शक्ति ने कड़वे रीठे में छुहारे जैसी मिठास भर दी। तब से चंपावत जिले के पश्चिमी – दक्षिणी भू भाग में स्थित लधियाघाटी का यह स्थान तीर्थ बनने के साथ श्रीरीठासाहिब नाम देश-विदेश के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया। यहां आने के लिए टनकपुर – हल्द्वानी से सीधे सड़क मार्ग से आया जा सकता है। यहां होने वाले सालाना जोड़ मेले में लगातार तीर्थ यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। तीन दिवसीय मेले में डेढ़ लाख तीर्थ यात्रियों के आने के दावे किए जा रहे हैं। यहां लगभग चार सौ कार सेवक पहुंच चुके हैं तथा तीर्थ यात्रियों के आने का लगातार क्रम जारी है। यहां प्रशासनिक तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जिलाधिकारी नवनीत पांडे एवं पुलिस अधीक्षक अजय गणपति मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों का मेहमान की तरह स्वागत एवं सुरक्षा करने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। प्रशासन द्वारा की जा रही व्यवस्थाएं लगभग पूर्ण हो चुकी है। गुरु घर में आवास की इतनी व्यवस्था न होने के कारण लोग मत्था टेकने के बाद अपने गंतव्य की ओर निकल रहे हैं। श्री गुरुघर में शरबत की भलाई के लिए अखंड पाठ की लड़ी शुरू हो गई है। तीर्थ यात्रियों के लिए मार्ग में लंगर लगाने के लिए पीलीभीत , नानकपुरी टांडा, शाहजहांपुर, दिल्ली , पंजाब आदि स्थानों से लोग आने लगे हैं।
पिछले 25 वर्षों से यहां के गुरुद्वारे का प्रबन्धन जत्थेदार बाबा श्याम सिंह जी द्वारा किया जा रहा है। बाबा जी को प्रबंधन का यह काम उस सौपा गया जब यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। रात दिन मेहनत करने के बाद यहां दो बार उत्तराखंड के राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला ने दौरा किया तथा मुख्यमंत्री पुष्कर धामी गुरु घर में मत्था टेकने लगातार आते रहते हैं। पहले रीठासाहिब को जोड़ने वाला एकमात्र टनकपुर – लोहाघाट, हल्द्वानी देवीधुरा होते हुए पहुंचा जाता था बाबा जी के लगातार प्रयासों के बाद अब हल्द्वानी – चोर गलियां – मीनार – रीठा तथा सुखीढांग – रीठा साहिब नए सड़क मार्ग बनने से इस स्थान की दूरी कम होने के साथ अब यहां तीर्थ यात्रियों का आवागमन काफी तेज हो गया है। इसी के साथ बाबा जी द्वारा गुरुद्वारा का भी काफी विकास किया गया है। स्वर्णजड़ित गुरुद्वारा का निर्माण करने के साथ गुरुद्वारा परिसर का काफी विस्तार कर यहां लगभग दस हजार तीर्थ यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। बाबा जी के मृदु व्यवहार एवं समर्पण भाव के कारण तीर्थ यात्री इतना प्रसन्न होकर लौटते हैं कि वे गुरु घर के विकास के लिए उनकी भावनाओं से आत्मसात करते हैं। जिला प्रशासन अब श्रीरीठासाहिब को हेली सेवा से जोड़ने के अलावा यहां के विकास का अलग से मास्टर प्लान तैयार करने में जुटा हुआ है।