लोहाघाट। पनारघाटी के सुदूर नदेड़ा गांव की हिमानी जोशी ने अपनी प्रतिभा के बल पर यह साबित कर दिया है कि यदि जीवन में आगे बढ़ने की दृढ़ इच्छाशक्ति व चट्टानी इरादे हों तो साधनों व संसाधनों की कमी उसकी प्रतिभा की चमक को धूमिल नहीं कर सकती है। घोर गरीबी के बीच जीवन यापन कर रहे गोविंद बल्लभ जोशी ने बेटी की पढ़ाई में कभी अपनी गरीबी को आड़े आने नहीं दिया, भले ही इसके लिए उन्हें फेरी लगाने से लेकर मेहनत मजदूरी करनी पड़ रही है। दो बच्चों में बड़ी हिमानी ने बीटेक करने के बाद जेईई मेंस में निन्यानवे फ़ीसदी तथा एडवांस में अखिल भारतीय स्तर पर 1155 वीं रैंक हासिल कर चंपावत एवं पिथौरागढ़ जिले की प्रथम छात्राओं की सूची में अपना नाम दर्ज कर उन अभिभावकों को आईना दिखाया है, जो लड़की को भार मानकर उसके विकास के मार्ग में गतिरोध पैदा करते आ रहे हैं


हिमानी का गत वर्ष मैकेनिकल में भी चयन हुआ था। लेकिन इसमें इनकी रूचि नहीं थी तथा इसके लिए उन्होंने आगे के प्रयास जारी रखे। इनका इरादा दिल्ली या चेन्नई से आईआईटी करने के बाद गूगल के क्षेत्र में काम करने का है। तथा अपने भाई नितिन के लिए भी ऊंचे सपने देख रही हैं। हिमानी की मां सुशीला जोशी हिमानी को परिवार की श्री व लक्ष्मी मानती है। इसके लिए वह ईश्वर की शुक्रगुजार हैं, जिसने उन्हें हिमानी जैसी बेटी की मां बनने का सौभाग्य दिया है। हिमानी इतनी कुशाग्र बुद्धि की है कि इसने कभी कोचिंग का सहारा ही नहीं लिया। इसमें इस बात का जुनून सवार था कि बेटियों के लिए कौन सा ऐसा क्षेत्र है, जहां वह अपनी प्रतिभा की चमक बिखेर नहीं सकती हैं?

By Jeewan Bisht

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