
ऐसे मिलेगा जंगली जानवरों से छुटकारा : डाॅ. खड़ायत
लोहाघाट। केविके के युवा वैज्ञानिक डाॅ. भूपेंद्र सिंह खड़ायत ने जंगली जानवरों से किसानों को राहत दिलाने के लिए कुछ ऐसे व्यावहारिक प्रयोग करवायें है जो व्यवहार में कारगर साबित हुए हैं। डाॅ. खड़ायत के अनुसार जंगली जानवर जैसे बंदर, सूअर, नीलगाय, हाथी तथा अन्य जानवर हर साल किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। जंगलों में भोजन के अभाव और भोजन की तलाश में जंगली जानवर किसानों के खेतों तक पहुंच जाते हैं। इन जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए किसान इलेक्ट्रिक तार बाढ़ या झटका मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक एकड़ में तार-बाढ़ लगाने पर लगभग दस से बारह हजार तक का खर्चा आ जाता है। यदि किसान झटका मशीन नहीं लगा सकते तो कटीलें फलों, फूलों और औषधीय पौधों को घना-घना लगाकर खेतों की बाढ़ बना सकते हैं। कटीलें फूलों जैसे गुलाब को भी लगाया जा सकता है। गुलाब के फूलों से गुलाब जल या सीधे फूलों को बेचकर किसान अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं। गुलाब के पौधे ज्यादा संख्या में उपलब्ध होने पर किसान मौन पालन भी कर सकते हैं।
पहाड़ पर पाये जाने वाले कांटेदार औषधीय वृक्ष तिमुर को भी बाढ़ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा औषधीय फूल कैमोमाइल जिससे चाय भी बनाई जाती है, इसका का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मैदानी क्षेत्रों में कैमोमाइल के पौधों को खेतों के चारों ओर लगाकर जंगली जानवरों जैसे हाथी, नीलगाय या अन्य जानवरों को भगाने में खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। इस फूल की गंध से जंगली जानवर स्वयं ही खेत से दूर भाग जाते हैं। सूअरों को भगाने के लिए कुछ जैविक उत्पाद भी बाजार में उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल भी किसान अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए कर सकते हैं। जिन गांवों में जंगली जानवरों की समस्या ज्यादा है वहां पर कृषि विज्ञान केंद्र, लोहाघाट, इन तकनीकीयों के प्रदर्शन को अब मॉडल के तौर पर लगाएगा जिनका प्रभाव आने वाले कुछ समय में दिखेगा।