लोहाघाट। ब्रिगेडियर दीपक चौबे अपने गांव में पूर्व फौजियों द्वारा बेमौसमी सब्जियों, फलोत्पादन, दुग्ध उत्पादन आदि कार्य कर अन्य फौजियों के लिए ऐसा मार्ग बनाया है, जिसमें सेना से रिटायर होने के बाद वह खेत से जुड़कर सम्मानजनक ढंग से अपना जीवन यापन कर सकते हैं। उन्होंने पूर्व फौजी तारा दत्त खर्कवाल, रमेश खर्कवाल आदि द्वारा इस दिशा में किए जा रहे सराहनीय प्रयास के लिए उनकी पीठ थपथपाई। ब्रिगेडियर चौबे गांव के पूर्व फौजियों, किसानों, युवाओं व अन्य लोगों से भी मिले। उन्होंने भारतीय सैनिक को शेर की संज्ञा देते हुए कहा वह कभी बूढ़ा नहीं होता। सैनिक जीवन में रहते हुए उसके पास इतनी शक्ति, सामर्थ्य व अनुभव का ऐसा खजाना होता है, यदि उसका दोहन करने लगे तो क्षेत्र का कायाकल्प होने के साथ गांव की तस्वीर ही बदल सकती है। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि आज महानगरों के लोग पहाड़ों के शांत आवेश एवं परिवेश में बसने के लिए लालायित होते आ रहे हैं और हम अपनी माटी से नाता तोड़कर पलायन कर रहे हैं। जबकि आज पहाड़ों में वैसा संघर्षमय जीवन नहीं है तथा यहां आज की सभी जरूरतें उपलब्ध हैं। जहां हम स्वरोजगार से अपने को जोड़कर दूसरों को रोजगार देने का माध्यम बन सकते हैं। पहाड़ों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, उन्हें सही दिशा- दशा देने की आवश्यकता है। यहां के मेधावी एवं साधनविहीन युवक जो जीवन में अपना ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए वह सहारा बनना चाहते हैं। जहां भी वह कोचिंग, प्रशिक्षण आदि लेना चाहते हैं, उसमें वे मददगार बनेंगे। हमें अपने जीवन का ऊंचा लक्ष्य निर्धारित करना होगा। उन्होंने अपने पूर्वजों को नमन करते हुए कहा कि जिन्होंने दूध बेचकर हम सबको शिक्षित करने का अपने जीवन का पहला लक्ष्य बनाया था। यही वजह है कि सुई गांव चंपावत जिले का ही नहीं पिथौरागढ़ जिले का भी सर्वाधिक शिक्षित गांव माना जाता था। इस अवसर पर त्रिलोचन चौबे, रमेश चौबे, सचिन जोशी, आनंद बल्लभ तिवारी, प्रयाग पुजारी, मथुरादत्त चौबे, मदन पुजारी, श्याम चौबे, भुवन चौबे, नवीन चौबे, गोविंद चौबे, भुवन पुजारी, गिरीश पुजारी आदि तमाम लोगों ने लोगों से भेंट की। गांव के लोगों ने उन्हें चारद्योली का स्मृति चिन्ह भेंट किया। ब्रिगेडियर चौबे ने गांव के मंदिरों में अपने इष्ट देवता का भी पूजन करने के साथ सुदूर हरेश्वर धाम में भी शिवशक्ति में जलाभिषेक किया। उनका कहना था कि यह ऐसा दिव्य एवं न्याय देने वाला ऐसा धाम है, यदि उसे सड़क से जोड़ा जाए तो पर्यटकों एवं धार्मिक पर्यटकों की आवाजाही होने से यहां रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।