देवीधुरा। पाटी ब्लॉक अंतर्गत बांस – बस्वाडी क्षेत्र के लगभग दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों को सड़क सुविधा न मिलने के कारण उन्हें भारी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लोगों की कठिनाइयों को देखते हुए घिंघारुकोट-बांस बस्वाडी तक चार किलोमीटर लंबी सड़क को प्राथमिकता के आधार पर निर्माण करने की घोषणा विगत फरवरी माह में की गई थी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति न होने से लोगों की खुशी कपूर की तरह उड़ती जा रही है। इस सड़क को लेकर यहां के लोग तमाम अरमान संजोए हुए थे। घिंघारुकोट, बांस बस्वाडी, टापर, पारगाड़, दौड़, बसान, गिजू बसान आदि ऐसे गांव हैं जहां के लोगों की आजीविका का साधन फलोत्पादन, दुग्ध उत्पादन के साथ साथ घास बेचना आदि है। लेकिन उन्हें हाड़तोड़ मेहनत कर सर बोझ से अपना उत्पादन सड़क तक लाना पड़ता है जिससे उनकी आय का अधिकांश भाग ढुलाई पर चला जाता है। यहां बच्चों के स्कूल जाने, गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों के लिए तो सड़क का न बनना अभिशाप बना हुआ है जिसके चलते यहां से लगातार पलायन होता जा रहा है।
इधर लोनिवि, लोहाघाट के अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सड़क की डीपीआर तथा वनभूमि संबंधी प्रकरण शासन को भेजे जा चुके हैं और वहां से आदेश की प्रतिक्षा की जा रही है। उक्त सड़क के बन जाने से इस क्षेत्र के लोगों की ब्लॉक मुख्यालय आने की दूरी करीब 15 किमी कम हो जायेगी। इस बीच चौड़ाकोट सड़क के बंद होने यहां के उत्पादकों को भारी नुक्सान के दौर से गुजरना पड़ रहा है। क्षेत्र के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं सतीश जोशी, प्रकाश पांडेय, धीरज पांडेय, प्रकाश सिंह, खिलानंद जोशी, नीरज जोशी, रविश जोश, नारायण दत्त, नंदू पांडेय, प्रकाश सिंह, प्रेम सिंह आदि का कहना है कि बांस बस्वाडी क्षेत्र की भूमि ऐसी बसुधरा है जहां हर प्रकार का उत्पादन होता है। आज के पढ़े लिखे युवा बेरोजगार क्षेत्र से पलायन के बजाय खेतों से जुड़कर अपना भविष्य बनाना चाहते हैं लेकिन उन्हें अपनी सोच को धरातल में लाने के लिए कदम कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
यहां सड़क का न होना यहां की छात्राओं के लिए तो किसी बड़े अभिशाप से कम नहीं है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां कि अधिकांश छात्राओं की नियति आठवीं और दसवीं कक्षा पास करना रह गया। क्योंकि बारहवीं और उच्च शिक्षा के लिए उन्हें पैदल कई किलोमीटर जंगली रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।

By Jeewan Bisht

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