लोहाघाट। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इस वर्ष धान, झंगोरा, मडुवा, उड़द, गहत व अन्य बरसाती फसलों का चंपावत जिले में बंपर उत्पादन होने की उम्मीद की जा रही है। पशुओं में लंपी वायरस की महामारी फैलने से हालांकि धान की बुवाई एक माह देरी से हुई है, किंतु समय पर वर्षा होने के कारण अभी तक की स्थिति को देखते हुए धान के साथ लाल चावल का भी रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। शासन द्वारा मोटे अनाजों का अच्छा समर्थन मूल्य निर्धारित किये जाने से इनका प्रक्षेत्र काफी बड़ा है। किसानों ने यह सोचकर भी इसका प्रक्षेत्र बढ़ाया है कि मडुए आदि की पौष्टिकता के बारे में स्वयं पीएम मोदी द्वारा जो वैश्विक स्तर पर प्रचार किया गया है, उसे देखते हुए मांग व आपूर्ति में असंतुलन होने से मडुए एवं अन्य उत्पादों को और अच्छी कीमत मिलेगी। मुख्य कृषि अधिकारी जीएस भंडारी का कहना है कि विभाग द्वारा व्यापक जनसंपर्क के जरिए मडुए की उपयोगिता बताने से अब हर कोई परिवार इसका उपयोग करने लगा है, जिससे इसकी लगातार मांग बढ़ती जा रही है। इसी प्रकार झंगोरा, उड़द, गहत का भी उत्पादन आशातीत होने की संभावना है।
लाल चावल के उत्पादन के कारण चंपावत जिले को पहचान मिली है। लाल चावल में फाइबर एवं उच्च गुणवत्ता के पोषक तत्व होने के कारण यह खीर बनाने, डायबिटीज के रोगियों, धात्री, गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए काफी फायदेमंद साबित होने से इसकी डिमांड बढ़ती जा रही है। कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हिमांशु जोशी के अनुसार लाधिया घाटी समेत नेपाल के सीमा से लगे रौंसाल क्षेत्र में लगभग 300 हेक्टेयर क्षेत्र में लाल चावल की खेती की जा रही है। इस चावल की विशेषता यह है कि अब इसके पांच सितारा होटलों में परोसे जाने से इसकी डिमांड भी लगातार बढ़ती जा रही है। किसान यह सोचकर भी इसका प्रक्षेत्र बढ़ाते जा रहे हैं कि इसकी बिक्री के लिए उन्हें किसी बाजार को तलाशने की आवश्यकता नहीं हो रही है। दिल्ली आदि स्थानों से लोग घर आकर मुंह-मांगा दाम देकर जा रहे हैं। आने वाले समय में यदि इसी प्रकार की बरसात होती रही तो लाल चावल का जिले में रिकॉर्ड उत्पादन होने लगेगा।