लोहाघाट। लधियाघाटी क्षेत्र में जलते जंगलों के कारण जहां का तापमान 37 डिग्री के रिकॉर्ड स्तर को छू गया है वही सूखते गाड़- गधेरों एवं बढते तापमान ने लोगों के सामने भविष्य की भयावह तस्वीर भी खड़ी कर दी है कि यही सब कुछ होता रहा तो भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। भले ही मानवीय नासमझी कहें या जानबूझकर की जा रही शरारतों के कारण वनों की हरियाली समाप्त होने के साथ व्यक्ति अपने को इस जघन्य पाप से मुक्त नहीं कर सकता है। लेकिन बनाच्छादित भिंगराड़ा ग्राम पंचायत की महिलाओं की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए की अभीतक उन्होंने अपनी वन पंचायत को दवाग्नि से बचाया ही नही बल्कि आसपास के पंचायती जंगलों को आग की भेंट चढ़ने से सुरक्षित भी रखा हुआ है। यहां की महिलाएं जंगल को अपना मायका मानते हुए उसकी देखभाल करती आ रही है। ग्राम प्रधान गीता भट्ट का कहना है कि यहां महिलाओं द्वारा जंगली आग लगने का मुख्य कारक पिरुल को अपनी आय का साधन बनाया हुआ है। महिलाओं द्वारा पांच सौ कुंतल पिरूल का संग्रह कर उसमें 50 कुंतल मुजफ्फरनगर में ईंट भट्टों के लिए के लिए भेजा गया है। ग्राम प्रधान का कहना है यहां की जागरूक महिलाओं द्वारा लगातार सतर्कता बरतने एवं अपनी भावी पीढ़ी को हरे भरे जंगल सौंपने की इच्छा शक्ति की कारण ही जंगल बजाना संभव हुआ है। यदि इसी प्रकार अन्य स्थानों की महिलाएं आगे आए तो वनों को विनाश से बचाया जा सकता है। डीएफओ आरसी कांडपाल ने क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान महिलाओं के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए धन्यवाद दिया ।