लोहाघाट। लंपी वायरस से पशुओं की हुई अकाल मौतें का सही आंकड़ा जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी द्वारा कड़े तेवर दिखाने के बाद अब सामने आने लगा है। लधिया घाटी क्षेत्र के भ्रमण के दौरान डीएम के संज्ञान में यह बात सामने आई कि वायरस की चपेट में काफी तादात में पशु मर चुके हैं किंतु पशुपालन विभाग का आंकड़ा अभी इकाई में ही घूम रहा है। उन्होंने पशुपालन से जुड़े सभी विभागों की संयुक्त बैठक आयोजित कर गांव गांव जाकर लपी वायरस से गोवंश को हुए नुकसान की जानकारी लेने के कड़ा निर्देश दिया। जिसके तहत अब पशु पालन, डेयरी, वाईफ आदि विभागों के सभी लोग सर्वेक्षण कार्य में जुट गए हैं। यहां तक कि स्वयं सीबीओ डॉ बीएस भंडारी अब गांव में निकल चुके हैं। लधिया घाटी में क्षेत्र में सात पशुओं की मौत हुई है। इसी प्रकार मुड़ियानी में सात, रतिया में चार, ललुवापानी, ढकना बडोला, बनलेख, सिमलटा, मुलाकोट, रीठाखाल, पासम आदि गांवो में भी दर्जनों पशुओं के मरने की सूचना मिल रही हैं। यदि सही सर्वेक्षण किया जाता है तो मृतक पशुओं का आंकड़ा सैकड़ों में पहुंच जाएगा।
इस बीच जिले में दवाओं की और खेप पहुंच गई है। लोहाघाट क्षेत्र में अब वायरस की तीव्रता कुछ कम हुई है। नेपाल के सीमावर्ती गांव में जहां कोई पशु चिकित्सालय नहीं है, वहां के हालात और भी नाजुक हैं। वहराल लंबी वायरस ने जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में चंपावत जिले में सर्वाधिक दूध का उत्पादन किया जाता है। रायनगर चोडी जैसे गांव से पांच गाये निकल गई है। यहां हर गोठ में दो से तीन गाय लोगों ने बाध रखी हैं। भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष नवीन करायत ने सीएम व डीएम को पत्र भेजकर लंपी वायरल को महामारी घोषित कर मृतक पशुओं के स्वामियों को तत्काल राहत देने की मांग की गई है। क्षेत्र के विधायक खुशाल सिंह अधिकारी पहले से ही इस की मांग को करते आ रहे हैं। विधायक का कहना है कि एक गाय के मरने का मतलब उस परिवार का कमाऊ सदस्य का कम होना है। जिलाधिकारी ने माना कि लंपी वायरस से लोगों को काफी नुकसान पहुंचा है।