देवीधुरा। बाराही धाम देवीधुरा में होने वाले पांच दिवसीय विश्वकल्याण महायज्ञ मैं ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य जगतगुरु वासुदेवानंद जी महाराज 19 जून को यहां आ रहे हैं। 20 जून को हुए यहां शुरू होने वाले विश्वकल्याण महायज्ञ का शुभारंभ कर अपनी अमृतवाणी से ज्ञान गंगा प्रभावित करेंगे। यह पहला अवसर है जब मां वज्र बाराही की कृपा से यहां शंकराचार्य जी का आगमन हो रहा है। जगतगुरु के आगमन से पूर्व यहां शनिवार को हल्द्वानी वाले दंडी स्वामी शंकरानंद जी के नेतृत्व में आधा दर्जन संतो ने बाराही धाम में व्यवस्थाओं का जायजा लिया तथा बाराही मंदिर कमेटी के कार्यकर्ताओं के साथ पूरे परिसर का भ्रमण कर मां बाराही के दर्शन किए। दल ने जगतगुरु के यहां आगमन को अपनी ओर से हरी झंडी दिखा दिए हैं। दल का मानना था कि जगतगुरु के लिए यहां सारी व्यवस्था हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता है। इस दल में महंत प्रणव जी, नरेंद्र महाराज, स्वामी धर्मानंद, पंडित हर्ष व मनीष स्वरूप शामिल थे। दल की मंदिर कमेटी के सक्रिय कार्यकर्ताओं से लंबी बैठक करने के बाद कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया। मंदिर कमेटी के मुख्य संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगडिया के विशेष आमंत्रण पर जगतगुरु महाराज का यहां आगमन हो रहा है। उनके साथ दर्जनों विद्वान संतो के अलावा अमरावती से जितेंद्र नाथ जी, बाबा कल्याण दास, स्वामी शंकर देव, साध्वी विभानद गिरी आदि संत भी कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाएंगे।
20 से 24 जून तक यहां महायज्ञ व प्रवचन होंगे। जगतगुरु 19 जून को यहां पहुंचेंगे तथा रात्रि विश्राम कर दूसरे दिन अपराहन बाद यहा से हल्द्वानी के लिए प्रस्थान करेंगे। वाराही मंदिर कमेटी के सक्रिय कार्यकर्ता बिशन सिंह चमियाल, हयात सिंह बिष्ट, राजेश बिष्ट, रमेश राणा, चंदन बिष्ट,, अमित लमगिइया, ग्राम प्रधान ईश्वर सिंह बिष्ट, नवीन राणा, प्रताप बिष्ट आदि तमाम लोगों के उत्साह को देखते हुए दल ने उनके प्रयासों की न केवल सराहना की बल्कि कहा इस महायज्ञ के सफल होने के अभी से अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। युवाओं का कहना था कि वे इस धार्मिक अनुष्ठान को भव्य व ऐतिहासिक रूप देकर उसका गवाह भी बनना चाहते हैं। युवाओं ने अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इस कार्य में गहडवाल खाम के वयोवृद्ध खाम प्रमुख तिलोक सिंह बिष्ट, चमियाल खाम के गंगा सिंह, वालिक खाम के बद्री सिंह, एवं लंमगडिया खाम के वीरेंद्र सिंह, मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट समेत चारखाम, सात तोको के लोगों में भारी उत्साह देखा गया। लोगों का कहना था कि पहली बार देवीधुरा में हो रहे इस विशाल धार्मिक अनुष्ठान मैं सहयोग कर वे इतिहास में अपना नाम भी दर्ज कराना चाहते हैं।