लोहाघाट। मां शारदा जी ने धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर प्रत्येक मानव को मातृ भाव से उन्हें प्यार व दुलार देने के कारण उन्हें जगतजननी कहा जाने लगा। हम जो कुछ भी हैं और जो कर रहे हैं, वह मां से उधार लेकर ही कर रहे हैं। यह विचार विश्व प्रसिद्ध अद्वैत आश्रम मायावती में जगतजननी मां शारदा के 172वें जन्मदिवस के अवसर पर वैश्विक स्तर की आध्यात्मिक पत्रिका “प्रबुद्ध भारत” के संपादक स्वामी दिव्यकृपानंद जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा मां शारदा के विराट स्वरूप ने ही उन्हें विश्व की मां कहने का ऐसा सौभाग्य दिया कि हर व्यक्ति उनमें मां के दर्शन करने लगा। 1897 में श्रीरामकृष्ण मिशन की स्थापना के बाद हम सबके सत्कर्मों के कारण वह हमारी जीवनतारणी मां बन गई। अद्वैत आश्रम मायावती में अद्वैत व वेदांत का श्रीगणेश करने में उनकी ही सोच थी, जिसके बारे में स्वयं स्वामी विवेकानंद जी ने यहां के प्रवास के दौरान कहा था कि हिमालय जैसे विराट की पूजा व दर्शन करने के बाद यहां पूजा करने का कोई महत्व नहीं है। इसलिए इस आश्रम में किसी प्रकार की पूजा नहीं की जाती है।
इस अवसर पर स्वामी एकदेवानंद, आश्रम के प्रबंधक स्वामी सुहृदयानंद, स्वामी ध्यानस्थानंद, स्वामी श्यामानंद, स्वामी मधुरानंद, स्वामी एकविदानंद समेत बाहर से आए श्रद्धालुओं के अलावा आईटीबीपी के कमांडेंट डीपीएस रावत, डीएफओ नवीन चंद्र पंत, केवी के प्राचार्य प्रवीण शर्मा, सतीश चंद्र पांडे, भास्कर मुरारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भगवत पांडे,राजेंद्र गहतोड़ी, अमरनाथ वर्मा प्रधानाध्यापक एलएस मेहता, शिक्षक प्रकाश चंद्र उपाध्याय, कीर्ति बगौली,खिलानंद जुकरिया समेत तमाम विशिष्ट जन मौजूद थे। बाद में यहां सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भंडारे में प्रसाद स्वरूप भोजन ग्रहण किया।
एक शताब्दी के बाद आया ऐसा संयोग। लोहाघाट। अद्वैत आश्रम में मां शारदा, ठाकुर जी एवं स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन भारतीय पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। लेकिन एक शताब्दी के बाद ऐसा संयोग आया है कि 22 दिसंबर की तिथि अंग्रेजी व भारतीय कैलेंडर में एक ही दिन पड़ी है। 21 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होता है। उसके बाद बड़ा दिन शुरू होने के साथ मां शारदा जी का अवतरण होना विश्व के लिए ऐतिहासिक घटना है।