लोहाघाट। आईटीबीपी की 36वीं वाहिनी में आज भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के जवानों ने राष्ट्र की आन-बान और शान के लिए मर मिटने का संकल्प लेते हुए बल का स्थापना दिवस मनाया गया। वाहिनी के प्रशासनिक भवन के सामने भव्य सैनिक परेड आयोजित की गई। परेड की सलामी लेते हुए वाहिनी के कमांडेंट डीपीएस रावत ने हिमवीरों को बधाई देते हुए कहा कि जिन उद्देश्यों, मूल्यों व आदर्शों को लेकर भारत सरकार द्वारा आईटीबीपी की स्थापना की गई थी, हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे हिमवीरों ने विषम भौगोलिक एवं सामाजिक परिवेश में रहते हुए जहां गगनचुंबी पर्वत शिखरों में रहते हुए सीमाओं की सुरक्षा की, वहीं देश के विभिन्न क्षेत्रों में आई आपदा, दुर्घटनाओं में जहां मानव को मानवीय सहायता की आवश्यकता थी, वहां हिमवीरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर अपने दायित्वों व कर्त्तव्यों का निर्वाह करते हुए बल की गरिमा व गौरव को बढ़ाया जाता रहा है। उसे देखते हुए हिमवीरों का मस्तक एवं हृदय मान और स्वाभिमान से भरा रहता है। उन्होंने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में देश की सुरक्षा को मजबूत करने में लगे हिमवीरों के शौर्य व साहस की प्रसंशा करते हुए कहा कि वे लोग कितने महान होते हैं, जिनका जीवन राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित रहता है। इस अवसर पर आईटीबीपी के पूर्व जवानों व अधिकारियों का स्वागत करते हुए कमांडेंट ने कहा कि आईटीबीपी के गौरवशाली इतिहास की पृष्ठभूमि में आप सभी लोगों की महती भूमिका रही है। सैनिक कभी बूढ़ा नहीं होता है, उसकी हैसियत उस शेर के समान है चाहे वह बूढ़ा हो या जवान, उसके सक्रिय रहने का उसमें प्राकृतिक गुण होता है। इस अवसर पर कमांडेंट ने दशहरा पर्व के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना करते हुए सभी हिमवीरों के मंगलमय जीवन की कामना की।