चंपावत। कभी बासमती के उत्पादन के लिए महकने वाली लधियाघाटी अब लाल चावल के लिए मशहूर होती जा रही है। लाल चावल भले ही पहले सुगंध नहीं देता, लेकिन पकने के बाद तो यह रसोई को अपनी सुगंध से भर देता है। चंपावत को मॉडल जिला बनाने के बाद हर क्षेत्र में किये जा रहे प्रयास अपना रंग दिखाने लगे हैं।अब औषधीय गुणों से भरपूर लाल चावल चंपावत जिले की पहचान बन गया है। इस चावल की खीर ऐसी रबड़ी जैसा स्वाद देती है, कि लोग हाथ चाटते ही रह जाते हैं। वर्तमान में जिले के लधियाघाटी समेत मंच- तामली, रौंसाल, मडलक आदि क्षेत्रों में लगभग 100 हेक्टेयर में इसकी पैदावार की जा रही है।
मुख्य कृषि अधिकारी जी0 एस0 भंडारी के अनुसार इस चावल की इतनी अधिक मांग है कि इसका प्रक्षेत्र दोगुना करने का अभी से प्रयास किया जा रहा है। शुरुआत में इसे ट्रायल पर बोया गया था। इसकी अच्छी उपज,मांग व अच्छी कीमतें मिलने से किसान भी उत्साहित हैं। एक हेक्टयर क्षेत्र में 13 से 15 कुंटल धान पैदा होता है, जिसमें साठ फ़ीसदी चावल एवं शेष भूसा निकलता है। दिल्ली के प्रगति मैदान में लगे स्टाल में यह चावल 400 से 450 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा गया है।अब विभाग ने प्रतिवर्ष इसका प्रक्षेत्र बढ़ाने का इरादा बनाया हुआ
कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हिमांशु जोशी के अनुसार इस चावल में इंट्रोसाइनिंग की मात्रा होने के कारण इसका रंग लाल होता है। बहरहाल यह चावल लोगों का स्वाद बदलने के साथ किसानों की तकदीर बदलने में भी काफी मददगार साबित हो रहा है। किसानों को अच्छी कीमतें मिलने से वह काफी उत्साहित हैं तथा प्रक्षेत्र बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
जिलाधिकारी नवनीत पांडे के अनुसार चंपावत जिले की विशिष्ट पहचान बने लाल चावल का इतना उत्पादन बढ़ाना है कि जिससे इसकी ब्रांडिंग कर ऑनलाइन बिक्री से किसानों को इसका सीधा लाभ दिलाया जा सके। कृषि विभाग की यह पहल आने वाले समय में किसानों के लिए वरदान साबित होगी। जैविक फसल होने के कारण भविष्य में बढ़ने वाली इसकी मांग को देखते हुए इसकी आपूर्ति के लिए भी कमर कसनी होगी।
आयुर्वेद के जानकार एवं जिला आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. आनंद सिंह का कहना है कि लाल चावल प्रकृति का ऐसा उपहार है, जिसमें पर्याप्त फाइबर एवं एंटीऑक्सीडेंट होने से यह डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। जबकि अन्य चावल उनके लिए नुकसानदायक होते हैं। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ने के साथ यह महिलाओं के तमाम रोगों के लिए भी किसी रामबाण दवा से कम नहीं है। इससे महिलाओं का दूध बढ़ने से बच्चे को और पोषण मिलने लगता है।