केवीके के पौध सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ खड़ायत ने अधिक उत्पादन के दिए महत्वपूर्ण टिप्स।
लोहाघाट। कृषि विज्ञान केंद्र के पौध सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ भूपेंद्र खड़ायत ने किसानों को तमाम महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं जिससे सिट्रस फलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ उन्हें रोग मुक्त किया जा सके। डॉ खड़ायत के अनुसार डाइबैक रोग फफूंद तथा पोषक तत्वों की कमी से होता है। डाइबैक रोग के कारण पेड़ ऊपर से नीचे की ओर मरकर सूखने लगते हैं। इस रोग को फैलने से बचाने के लिए, पेड़ों की मरी हूई सभी सूखी टहनियों को, जनवरी-फरवरी में नई शाखाएं आने से पहले काट देना चाहिए। इसके बाद कॉपर ऑक्सिक्लोराइड या मैंकोजेब और कार्बेन्डाजिम के मिश्रण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए।
पत्तियों के पीलेपन का कारण एवं निवारण पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, जिंक, मैग्नीशियम तथा आयरन की कमी से नीबूवर्गीय पौधों की पत्तियों में पीलापन आ जाता है। यदि पत्तियां पूरी तरह पीली हो जाती हैं तो यह नाइट्रोजन की कमी का लक्षण होता है।
यदि संतरे के पेड़ एक साल के हों तो, हर साल इनकी जड़ों में 10 किलो गोबर की खाद, 50 ग्राम फास्फोरस, 175 ग्राम यूरिया, 60 ग्राम पोटाश, 315 ग्राम सुपर फास्फेट, 100 ग्राम एमओपी और इसी प्रकार उम्र के हिसाब से, इसी अनुपात में मात्रा बढ़ाकर डालनी चाहिए।
नाइट्रोजन का आधा भाग फरवरी में और दूसरा भाग अप्रैल-मई या फिर बारिश शुरू होने पर डालनी चाहिए।
चंपावत जिले के ज्यादातर क्षेत्रों में, संतरे तथा माल्टे के पेड़ों पर, खासतौर पर नाइट्रोजन तथा जिंक की कमी के लक्षण पाए गये हैं। जिंक की कमी को रोकने के लिए एक पेड़ की जड़ों में 200 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाएं या एक किलोग्राम जिंक सल्फेट और 500 ग्राम अनबूझा चूने को 200 लीटर पानी में घोलकर मार्च, जून और सितंबर माह में छिड़काव करना चाहिऐ। इससे पैदावार और फलों का वजन बढ़ता है। सूखे के वक्त बगीचों में 15 सेंटीमीटर मोटी घास की मल्च लगानी चाहिए इससे मिट्टी में नमी और उपजाऊ शक्ति बनी रहती है बरसात के समय इस मल्च को हटा देना चाहिए।