लोहाघाट। विद्या भारती ऐसी संस्था है जो व्यक्ति में चरित्र निर्माण, अनुशासन, कार्य के प्रति समर्पण एवं उनके सर्वांगीण विकास के लिए ए से तराश की जा रही है, जिससे किसी भी क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता से अपने व्यक्तित्व की अलग ही चमक बिखेरने लगते हैं। विद्या भारती के विद्यालयों में शैक्षिक कार्य करने के बाद जब ये शिक्षक अपनी प्रतिभा के बल पर राजकीय विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य करते हैं तो इनके कार्य व्यवहार में कोई परिर्वतन आना तो दूर अन्य शिक्षक भी इनके कार्यों का अनुसरण करने लगते हैं। यही नहीं यह शिक्षक बच्चों की प्रतिभाओं को तराशने के साथ उन्हें शिक्षा के साथ अन्य गतिविधियों में भी पारंगत करते आ रहे हैं। इन शिक्षकों का बोर्ड की परीक्षाओं का परीक्षाफल इस बात का गवाह है कि इनके द्वारा बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए कितना प्रयास किया जा रहा है।
जीआईसी बापरू के शिक्षक प्रकाश चन्द्र उपाध्याय के प्रयास अब रंग दिखाने लगे, जब गीत संगीत, प्रतियोगी परीक्षाओं में यहां के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। सात विषयों में परास्नातक श्री उपाध्याय हर विषय में छात्रों को पारंगत करने का उद्देश्य लेकर चल रहे हैं। इनका घर हमेशा बच्चों की निशुल्क शिक्षा के लिए खुला रहता है।
जीआईसी लोहाघाट के शिक्षक भगवान जोशी यथा नाम तथा काम की भावना को चरितार्थ कर रहे हैं। ये छात्रों में शिक्षा के साथ उनके नैतिक व चारित्रिक विकास में ऐसे लगे रहते हैं जैसे ये स्वयं अपने बच्चे का भविष्य संवार रहे हों। संस्कृत भाषा के उन्नयन के साथ यह बच्चों के करियर निर्माण में भी लगे हुए हैं।
जीआईसी लोहाघाट के ही प्रवक्ता नवीन पाण्डे की शिक्षण कार्य शैली एवं बच्चों के प्रति समर्पित भाव को देखते हुए यहां निजी विद्यालयों के छात्र अपना कैरियर बनाने में लगे हुए हैं। विज्ञान जैसे विषय को इन्होंने इतना रोचक बना दिया है कि बोर्ड परीक्षाओं में यह विषय बच्चों को उनके मुकाम तक ले जाने में सहायक हो रहा है।
जीआईसी चंपावत के शिक्षक जगदीश जोशी बच्चों को शिक्षा के साथ उनमें छुपी सांस्कृतिक, सामाजिक, बौद्धिक प्रतिभाओं को निखारकर उन्हें हरफनमौला बनाने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा यह सामाजिक बुराईयों को भी दूर करने में अपनी क्षमता का उपयोग कर रहे हैं।